क्या बिहार की पॉलिटिक्स में पासवान परिवार सबसे कमजोर कड़ी है, 2021 के बाद 2024 में फिर क्यों उठ रहे ये सवाल?
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क्या बिहार की पॉलिटिक्स में पासवान परिवार सबसे कमजोर कड़ी है, 2021 के बाद 2024 में फिर क्यों उठ रहे ये सवाल?

Bihar Politics: पहले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने पशुपति कुमार पारस से मुलाकात की और फिर दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मीटिंग फिक्स की गई. यह सब अनायास ही नहीं हुआ होगा. राजनीति में कुछ भी ऐसे या वैसे नहीं होता. हर बात और हर मुलाकात के मायने होते हैं. चिराग पासवान समझ गए होंगे तो ठीक नहीं तो जो है सो हइए है. 

चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस

रामविलास पासवान... बिहार की पॉलिक्टिस का राष्ट्रीय चेहरा, लेकिन उनकी मौत के बाद पासवान परिवार की पॉलिटिक्स 2 चेहरों में बंट गई. चिराग पासवान कमजोर हुए और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस मजबूती के साथ न केवल सामने आए, बल्कि वे मोदी सरकार में मंत्री भी बनाए गए. लोकसभा चुनाव 2024 तक वे मंत्री रहे लेकिन समयचक्र घूम चुका था. चिराग पासवान ने अपने अकेलेपन के दिनों में पार्टी को मजबूत बनाने पर काम किया और भाजपा ने उनकी मजबूती भांप​ते हुए चाचा को दरकिनार कर भतीजे पर दांव लगा दिया. चुनाव में चिराग पासवान एक बार फिर 5 सांसदों के साथ मजबूत हुए और मोदी सरकार में मंत्री पद को सुशोभित कर रहे हैं. अब पिछले दिनों राजद के एक विधायक ने दावा किया है कि चिराग पासवान की पार्टी के 3 सांसद भाजपा नेताओं के संपर्क में हैं और वे कभी भी पाला बदल सकते हैं. दूसरी ओर, भाजपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने पशुपति कुमार पारस से मुलाकात की और उसके बाद पारस की मुलाकात दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी हुई. अब इसके क्या मायने हो सकते हैं, इसके लिए आपको पूरी खबर पढ़नी होगी. 

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दरअसल, चिराग पासवान मंत्री तो मोदी सरकार के हैं लेकिन सरकार बनने के बाद से लेकर अब तक वे शायद ही किसी मसले पर सरकार का साथ देते दिखे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण में क्रीमीलेयर का मसला उठाया तब चिराग पासवान ने एक तरह से मोदी सरकार को घेरने का ही काम किया. मोदी सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया, तब भी चिराग पासवान की राय जुदा थी और वे इसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ बता रहे थे. उसके अलावा, चिराग पासवान और उनकी पार्टी ने भारत बंद को भी समर्थन दिया था. चिराग पासवान के इन सब कदमों के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल अचानक पशुपति कुमार पारस से मिलते हैं और उसके बाद दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी उनकी मुलाकात होती है. इस मुलाकात में पशुपति कुमार पारस के भतीजे प्रिंस राज भी मौजूद थे. 

बकौल पशुपति कुमार पारस, अमित शाह से मुलाकात में 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों को लेकर चर्चा हुई और यह आश्वासन दिया गया कि उनकी पार्टी को सम्मानजनक सीटें दी जाएंगी. अमित शाह ने पशुपति कुमार पारस को ईमानदार सहयोगी करार दिया और यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि पशुपति कुमार पारस जैसे संगठनकर्ता का लाभ एनडीए गठबंधन को मिलते रहना चाहिए. पारस यह भी बोले, 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें महत्व नहीं दिया गया जिस पर थोड़ी नाराजगी हुई पर हमने व्यक्तिगत हित को परे रखकर नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने की जनता की पुकार सुनी और एनडीए को समर्थन देने का फैसला किया. उन्होंने कहा कि दिलीप जायसवाल जी से हमारा पुराना रिश्ता रहा है और उनसे मुलाकात के बाद हमने अमित शाह जी से समय मांगा और मुलाकात की. 

जब पशुपति कुमार पारस से पूछता गया कि क्या चिराग पासवान की पार्टी में फिर से टूट होने वाली है तो उन्होंने कहा, सभी को पता है कि उनकी पार्टी के अंदर क्या हालात हैं. राजद विधायक मुकेश रोशन ने इस बात का हवाला देते हुए कहा है कि चिराग पासवान की पार्टी के 3 सांसद भाजपा के संपर्क में हैं. क्या होने वाला है, तमाम मीडिया को पता है. मुझसे यह सब न कहलवाइए तो ही अच्छा रहेगा. मैं पहले एनडीए में था, अब भी एनडीए में ही हूं और आगे भी बना रहूंगा. 

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इस बारे में जब चिराग पासवान का कहना है कि विपक्ष मेरी पार्टी को लेकर भ्रम फैला रहा है. ऐसा ही भ्रम 2021 में फैलाया गया था और उसी साजिश को एक बार फिर से हवा देने की कोशिश की जा रही है. ऐसे लोगों को समझना चाहिए कि वे लोग मुझे तब भी खत्म नहीं कर पाए थे और अब भी खत्म नहीं कर पाएंगे. चिराग पासवान ने कहा कि चुनाव में हमारी पार्टी का स्ट्राइक रेट 100 प्रतिशत रहा है. जिनको लगता है कि हमारी पार्टी में गुटबाजी है तो यह मान लेना चाहिए कि वे केवल अपनी इच्छाओं को पंख दे रहे हैं. किसी के चाहने भर से ऐसा नहीं होने वाला है. उन्होंने कहा कि विपक्षी दल एनडीए में मतभेद पैदा करना चाहते हैं.

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