बिहार में भाजपा अपनी तैयारी के जरिए पश्चिम बंगाल में पड़ेगी भारी, ममता को भी नीतीश-तेजस्वी के साथ देगी झटका
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बिहार में भाजपा अपनी तैयारी के जरिए पश्चिम बंगाल में पड़ेगी भारी, ममता को भी नीतीश-तेजस्वी के साथ देगी झटका

भाजपा बिहार में जिस तरह से 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एक्टिव हुई है. उसने विपक्षी दलों की टेंशन बढ़ा दी है. ऊपर से भाजपा के लिए AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी का बिहार में सुपर एक्टिव हो जाना भी फायदेमंद नजर आ रहा है.

(फाइल फोटो)

पटना : भाजपा बिहार में जिस तरह से 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एक्टिव हुई है. उसने विपक्षी दलों की टेंशन बढ़ा दी है. ऊपर से भाजपा के लिए AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी का बिहार में सुपर एक्टिव हो जाना भी फायदेमंद नजर आ रहा है. इसके साथ ही महागठबंधन में शामिल होकर सरकार गठन के बाद जिस तरह से जदयू में बिखराव हुआ है वह भी भाजपा के लिए फायदे का ही सौदा है. ऐसे में बिहार में भाजपा 2019 के अपने प्रदर्शन को 2024 में भी दोहराना चाहती है.

दरअसल 2019 में भाजपा के हिस्से बिहार की आधी लोकसभा सीट थी यानी गठबंधन में रहने के कारण भाजपा 20 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और जदयू के हिस्से में भी 20 सीटें आई थी. दोनों ही दलों ने मिलकर यहां केवल किशनगंज की सीट को गंवाया था और भाजपा और जदयू गठबंधन को 39 सीटों पर सफलता हासिल हुई थी. हालांकि आपको बता दें कि अब भाजपा के पास नीतीश का साथ नहीं है फिर भी भाजपा इस कोशिश में लग गई है कि इस प्रदर्शन को बरकरार रखा जाए. 

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ऐसे में इसके लिए बिहार की पूरी प्लानिंग और उसकी जिम्मेदारी भाजपा के चाणक्य अमित शाह ने अपने कंधे पर ले रखी है. शाह लगातार बिहार का दौरा कर रहे हैं और वह वहां के जातिगत समीकरण और साथ ही राजनीतिक गणित को समझने की कोशिश कर रहे हैं. अमित शाह का 6 महीने में पांचवीं बार बिहार का दौरा इसी बात को तो दर्शाता है. आपको बता दें कि अमित शाह के दौरे के साथ ही भाजपा बिहार के छोटे दलों को अपने साथ जोड़ने में लग गई है. 

अब समझिए की भाजपा बिहार में इतनी बड़ी जीत का सपना क्यों देख रही है. आपको बता दें कि भाजपा की बिहार में जीत उसको पश्चिम बंगाल और झारखंड में जीत का रास्ता दिखाएगी. ऐसे में बिहार के जरिए ही भाजपा पश्चिम बंगाल और झारखंड को भी साधने की कोशिश में लग गई है. आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव के ठीक बाद झारखंड में विधानसभा चुनाव होना है और भाजपा को यहां अपनी जमीन तैयार करनी है. वहीं पश्चिम बंगाल में भी 2026 में विधानसभा का चुनाव होना है जिसमें ममता को भी भाजपा इसी बहाने झटका देने की तैयारी में है. 

भाजपा जानती है कि उसके लिए पश्चिम बंगाल में अभी भी बहुत संभावनाएं है और इसके साथ ही लोकसभा और विधानसभा के परिणाम पश्चिम बंगाल में जिस तरह के रहे हैं उससे उसकी आशा ज्यादा बढ़ गई है. बिहार का सीमांचल का क्षेत्र सीधे तौर पर पश्चिम बंगाल की राजनीति पर अपना असर दिखाता है ऐसे में इस बार भाजपा ने वहां से हीं विगुल फूंका है जिस वजह से विपक्ष की परेशानी बढ़ गई है. उत्तर बंगाल के जो जिले सीमांचल से सटे हैं उसपर भाजपा सीमांचल के जरिए निशाना साधने के मूड में है. ऐसे में भाजपा एक साथ ममता, नीतीश, हेमंत और तेजस्वी को एक साथ झटका देने के मूड में है. 

 

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