बिहार में आखिर क्यों लगातार आ रहा अमित शाह का काफिला, किसने बढ़ाई है भाजपा की बेचैनी!
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बिहार में आखिर क्यों लगातार आ रहा अमित शाह का काफिला, किसने बढ़ाई है भाजपा की बेचैनी!

बिहार में 6 महीने के अंदर भाजपा के चाणक्य कहे जानेवाले गृहमंत्री अमित शाह का 5वां दौरा और एक महीने के भीतर दूसरा दौरा आखिर क्या संकेत दे रहा है. संकेत साफ है बिहार में भाजपा के लिए परेशानी बड़ी है.

(फाइल फोटो)

पटना: बिहार में 6 महीने के अंदर भाजपा के चाणक्य कहे जानेवाले गृहमंत्री अमित शाह का 5वां दौरा और एक महीने के भीतर दूसरा दौरा आखिर क्या संकेत दे रहा है. संकेत साफ है बिहार में भाजपा के लिए परेशानी बड़ी है. नीतीश का चेहरा और भाजपा का भरोसा मिलकर जहां विपक्ष पर भारी पड़ता था वहां अब फिलवक्त भाजपा को अकेले मोर्चा संभालना है. भाजपा के खिलाफ नीतीश की पार्टी जदयू, राजद, कांग्रेस समेत 5 ओर पार्टियां हैं. अब इनके वोट बैंक पर एक बार नजर डालेंगे तो आपको स्पष्ट हो पाएगा कि आखिर अमित शाह का सियासी काफिला क्यों बार-बार बिहार पहुंच रहा है. 

भाजपा जानती है केवल 2024 का लोकसभा चुनाव नहीं 2024, 25 और 26 में होनेवाले विधानसभा चुनाव पर भी बिहार में लोकसभा चुनाव की वोटिंग का असर दिखेगा. मतलब भाजपा मट्ठे को भी फूंक-फूंककर पीने के मुड में है. भाजपा को पता है कि नीतीश कुमार की पार्टी के वोट बैंक में तो सैंध लगाया जा सकता है लेकिन राजद के MY समीकरण में भाजपा के हिस्से शून्य ही आना है. ऐसे में भाजपा बिहार के छोटे-छोटे दलों जिनकी अलग-अलग जातियों पर पकड़ मजबूत है और ये जातियां बिहार में भले ही संख्याबल में कम हों लेकिन इकट्ठा वोटिंग कर दें तो कोई भी पार्टी के लिए विजय का बिगूल फूंक पाना आसान हो जाएगा.    

बिहार के 40 लोकसभा सीट पर भाजपा इस बार अकेले आजमाइश के लिए मैदान में है. वह उपेंद्र कुशवाहा, चिराग पासवान, मुकेश सहनी जैसे नेताओं को साथ जोड़ने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है. भाजपा का पहला फोकस कुशवाहा (कोइरी) समुदाय को साधना है साथ वह कुर्मी, भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण के साथ पिछड़े, दलित और अति पिछड़ी जातियों पर भी फोकस कर रही है. ऐसे में भाजपा ने जहां प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर कुशवाहा समुदाय के सम्राट चौधरी को कमान सौंप दी है. 

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भाजपा को पता है कि चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा को अगर वह अपने साथ लाने में कामयाब हो गए तो बिहार की लगभग 18 सीटों पर जहां उनका सीधा प्रभाव है वह भाजपा के पाले में आ सकता है. इसके साथ ही भाजपा को इसके लिए ज्यादा सीटें भी कुशवाहा और चिराग को नहीं देनी होंगी. मुकेश सहनी के साथ आने के बाद भाजपा के लिए यह फायदा कई गुना ज्यादा बढ़ जाएगा. 

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