आखिर क्यों मीठा जर्दालु आम हो गया कड़वी सियासी रंजिश का शिकार?
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आखिर क्यों मीठा जर्दालु आम हो गया कड़वी सियासी रंजिश का शिकार?

सियासत की कड़वाहट ने बिहार के सबसे मीठे जर्दालु आम के स्वाद को भी खराब कर दिया है. केंद्र और बिहार सरकार के बीच रिश्तों की कड़वाहट आम के स्वाद को खराब कर गई है. बिहार में सियासी तकरार के बीच फेमस जर्दालु आम की खटास सामने आ गयी है.

(फाइल फोटो)

पटना: सियासत की कड़वाहट ने बिहार के सबसे मीठे जर्दालु आम के स्वाद को भी खराब कर दिया है. केंद्र और बिहार सरकार के बीच रिश्तों की कड़वाहट आम के स्वाद को खराब कर गई है. बिहार में सियासी तकरार के बीच फेमस जर्दालु आम की खटास सामने आ गयी है. विपक्षी एकता कि मुहीम में लगे सीएम नीतीश कुमार ने ना सिर्फ राजकाज की परम्परा को तोड़ा बल्कि जर्दालू आम के किसानो को भी आहत कर दिया.

दरअसल , बिहार में नीतीश कुमार के मिशन 2024 के सामने जर्दालु को बड़ा झटका लगा है. बिहार सरकार लगातार 2007 से फेमस भागलपुर के जर्दालु आम की टोकरी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के साथ बतौर उपहार भेजती रही है पर इस बार सियासी खटास के बीच किसानों को बड़ा झटका लगा. जब सरकार ने आखिरी वक्त में जर्दालु आम राष्ट्रपति,पीएम को उपहार स्वरुप भेजने से मना कर दिया.मना क्यों किया यह बात अब आम की तरह आम रह गई है. एनडीए में रहने के बाद नीतीश कुमार ने ही इस परम्परा कि शुरुआत की थी और एनडीए से अलग होने के बाद इस बार जब पीएम नरेन्द्र मोदी के खिलाफ 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र बिहार के इस जर्दालु का स्वाद को पीएम से दूर कर दिया गया और गिफ्ट पैक यह जर्दालु आम आज बर्बाद हो रहा है. 

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भागलपुर के महेशी तिलकपुर गांव के जर्दालु आम उत्पादक किसान सह आम उत्पादक संघ के अध्यक्ष अशोक चौधरी कहते हैं कि जिला प्रशासन के आदेश पर अच्छी क्वालिटी के जर्दालु आम किसानों के बागान से ऊंची कीमत पर खरीदा गया. पैकिंग भी कर दी गई लेकिन भेजने से एक दिन पहले प्रशासन ने नहीं भेजने का फरमान किसानों को सुना दिया. नतीजा सैकड़ों क्विंटल आम बर्बाद हो गया.

अब इसे सियासी रंजिश कहना ही सही होगा कि सरकार के फरमान के बाद करीबन ढाई हजार कार्टून में पैक किये गए यह जर्दालु आम अपनी नियत पर आंसू बहाने को बाध्य हो गए और भागलपुर के किसानों के सैकड़ों क्विंटल जर्दालु आम, सारी तैयारी के बावजूद राजनितिक द्वेष की वजह से खराब हो गया. आपको बता दें कि भागलपुरी जर्दालु आम को जीआई टैग मिला हुआ हैं और डेढ़ दशक पुरानी परंपरा को नीतीश सरकार ने तोड़कर महामहिम राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को मिलने वाले जर्दालु आम के स्वाद से जुदा कर दिया है.

हालांकि सरकार के इस फैसले पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार जर्दालु के प्रचार से डर गयी है. बहरहाल, सरकार के सियासी रंजिश के शिकार जर्दालु आम के शिकार किसान आज कहीं के नहीं हैं क्योंकि डिब्बों में बंद आम खराब हो गए और उन्हें बाज़ार में भी खरीददार नहीं मिल रहे हैं.
(Report- Prince Suraj)

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