Pukhraj Ratna (Yellow Sapphire): ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पुखराज रत्न का संबंध बृहस्पति ग्रह से है. इसलिए जिन जातकों की कुंडली में गुरु ग्रह पीड़ित हो, उन्हें पुखराज धारण करना चाहिए. इसे धारण करने से घर में कभी भी सुख समृद्धि में कमी नहीं आती है. लेकिन किसी भी रत्न को धारण करने से पहले ज्योतिष की सलाह लेना बेहद आवश्यक है.
Pukhraj Ratna: पीले रंग का पुखराज बहुत ही प्रभावशाली रत्न होता है, जिसका संबंध बृहस्पति ग्रह से है. यदि किसी जातक की कुंडली में बृहस्पति कमजोर हो तो उन्हें यह रत्न धारण करना चाहिए. वैसे तो पुखराज कई रंगों में पाया जाता है, लेकिन बृहस्पति ग्रह के लिए पीले रंग के ही पुखराज को धारण किया जाता है.
मिथुन, कन्या, वृषभ राशि के जातकों को पुखराज रत्न धारण करना चाहिए. धनु व मीन राशि के लोग भी भाग्यवृद्धि के लिए पुखराज धारण कर सकते है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति ग्रह कमजोर हो, वह व्यक्ति पुखराज रत्न धारण कर सकता है.
रत्न शास्त्र के अनुसार रत्न को राशि के अनुसार ही पहनना चाहिए. पुखराज को हमेशा कुंडली में बृहस्पति की स्थिति के अनुसार ही धारण करना चाहिए. अन्यथा भारी आर्थिक और शारीरिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. पुखराज के साथ कभी भी हीरा और नीलम रत्न नहीं धारण करना चाहिए.
पीले रंग के पुखराज को सोने की अंगूठी में जड़वाकर शुक्ल पक्ष के बृहस्पतिवार को पहने. इसे धारण करने से पहले दूध, गंगाजल, शहद, घी और शक्कर के घोल में डाले और 5 अगरबत्ती बृहस्पति देव के नाम पर जला लें. इसके बाद बृहस्पति मंत्र का 108 बार जाप करें और अंगूठी को भगवान विष्णु के चरणों में रख दे. अब आप इस अंगूठी को धारण कर सकते हैं.
पुखराज रत्न का संबंध बृहस्पति ग्रह से है इसलिए इसे धारण करने से घर में कभी भी धन संपत्ति की कमी नहीं होती. जिन जातकों के विवाह में रुकावट आ रही हो उनके लिए पुखराज रत्न धारण करना बेहद लाभदायक होता है.
पुखराज काफी प्रभावशाली रत्न होने के साथ-साथ नुकसानदायक भी होता है. पुखराज रत्न को धारण करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिषी से सलाह लेकर उचित किस्म का ही पुखराज रत्न धारण करना चाहिए.