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Padmashree Dr Narendra Prasad: पद्मश्री से सम्मानित देश के जाने-माने सर्जन डॉ. नरेंद्र प्रसाद का असामयिक निधन देशवासियों को गहरा शोक देने वाला है. उनके परिवार और साथी चिकित्सक उनके चले जाने पर व्यथित हैं. डॉ. नरेंद्र प्रसाद के भतीजे प्रसिद्ध फिजिशियन डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि उन्होंने अपने घर पर ही अंतिम सांस ली. उनके सुपुत्र डॉ. आलोक अभिजीत एक प्रसिद्ध लेप्रोस्कोपिक सर्जन हैं. बिहार के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सहजानंद प्रसाद सिंह ने बताया कि डॉ. नरेंद्र प्रसाद जैसे विशेषज्ञ सर्जन बहुत ही कम होते हैं. उन्हें मेडिकल काउंसिल के मेंबर और बिहार मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष के रूप में भी योगदान दिया. उनके निधन से न केवल बिहार बल्कि पूरे देश को चिकित्सा क्षेत्र में अहम नुकसान हुआ है. उनका व्यक्तित्व अनूठा था और उनकी योगदान की अमूल्यता कोई भी नहीं भूल सकता है.
डॉ. सहजानंद प्रसाद सिंह ने बताया कि डॉ. नरेंद्र प्रसाद ने जब भी पटना मेडिकल कॉलेज में शिक्षक के रूप में काम किया, तो सबसे अधिक अनुशासन और सख्ती सर्जरी विभाग में रखी थी. वे छात्रों को निरंतर मार्गदर्शन देते और उन्हें अपनी गलतियों का आश्वासन देते थे. डॉक्टरों की गिरती साख पर भी उन्होंने विशेष ध्यान दिया और सदैव उनके साथ खड़े रहे. वे हर सुबह नौ बजे पीएमसीएच पहुंच जाते थे और डॉक्टरों को उनके कर्तव्यों के प्रति संबोधित करते थे. उनके निधन के बाद बिहार ही नहीं, पूरे देश को इसका एहसास हो रहा है कि एक ऐसा महान सर्जन हमें छोड़कर चला गया है जिसका समान और उत्कृष्ट व्यक्तित्व शायद ही कोई दूसरा ला सकता है.
बता दें कि डॉ. नरेंद्र प्रसाद का अंतिम समय आना एक व्यक्ति के जीवन का सबसे कठिन पल होता है. उन्होंने भले ही इस दुनिया को छोड़ दिया, लेकिन उनका योगदान और उनकी अद्भुत प्रेरणा हमेशा हमारे दिलों में बसी रहेगी. उन्होंने चिकित्सा क्षेत्र में अपना सबसे अच्छा दिया और हमें एक महान उत्तम व्यक्तित्व की मिसाल भी प्रस्तुत की. उनकी सादगी, कर्मठता और उनके सर्जनीक नौकरी में शानदारता का उदाहरण उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा. उनके जाने से हमें वास्तविकता का सामना करना पड़ रहा है और हमें उनके योगदान को सम्मानित करना चाहिए. उनके अनुयायियों के साथ हमेशा उन्हें याद करना चाहिए. उनकी यादों को सम्मान करना हमारा कर्तव्य है और उनका योगदान भूला नहीं जाएगा.
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