पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग तेज, जानिए कितना पुराना है इतिहास
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पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग तेज, जानिए कितना पुराना है इतिहास

Patna University: पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग सबसे पहले 1970 में हुई है. इसके लिए केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव भी भेजा गया था. बिहार में इस वक्त दो केंद्रीय विश्वविद्यालय पहला गया और दूसरा मोतिहारी में है.

 

पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग तेज, जानिए कितना पुराना है इतिहास

पटना: पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिए जाने की मांग काफी पुरानी है. जब भी पटना विश्वविद्यालय में किसी विशिष्ट अतिथि का आगमन हुआ है, तब पटना विश्वविद्यालय को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाए जाने की मांग हुई है. लेकिन पिछले 1 दशक में इस मांग ने राजनीतिक रूप अख्तियार कर लिया है. अक्टूबर 2017 की बात है जब पटना विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष समारोह में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे थे. तब राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनसे पटना यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा देने की गुजारिश की थी. इसके बाद साल 2019 में जब तत्कालीन उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू पटना यूनिवर्सिटी पहुंचे थे. उस वक्त भी पटना यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाए जाने की मांग हुई थी. लेकिन अब तक इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय नहीं बनाया जा सका. 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में भी इसकी चर्चा खूब हुई थी. 

50 साल पुरानी मांग
बता दें कि पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिले यह मांग 50 साल पुरानी है. 1970 के दशक में छात्र नेता रामरतन सिन्हा ने इसकी मांग उठाई थी. पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिलना चाहिए या नहीं इस बारे में नए विश्वविद्यालय कुलपति प्रोफेसर गिरीश कुमार चौधरी और और पूर्व कर कुलपति रासबिहारी प्रसाद सिंह ने कहा कि पटना विश्वविद्यालय ने एक प्रस्ताव बनाकर केंद्र सरकार को भेजा था. इस प्रस्ताव में पीयू को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा दिए जाने की मांग थी. लेकिन केंद्र ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया. 

नियम में बार-बार संशोधन
विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय का मापदंड तय करने के नियम में बार-बार संशोधन होती रही है. ताजा नियम यह है कि किसी विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा तभी मिलेगा जब उसके ऊपर किसी तरह का कोई बकाया या देनदारी नहीं हो. बकाया या देन दारी से मतलब यह है कि यूनिवर्सिटी के ऊपर राज सरकार का कोई बकाया नहीं होना चाहिए. वहां काम करने वाले नॉन टीचिंग टीचिंग स्टाफ के वेतन या पेंशन का बकाया नहीं होना चाहिए. हालांकि पटना विश्वविद्यालय पर किसी तरह का कोई बकाया नहीं है. बता दें कि बिहार में इस वक्त दो केंद्रीय विश्वविद्यालय पहला गया और दूसरा मोतिहारी में है.

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PU का इतिहास गौरवशाली
एक नियम यह भी है कि किसी विद्यालय का गौरवशाली इतिहास और वर्तमान होना चाहिए. पटना विश्वविद्यालय का इतिहास गौरवशाली रहा है. यह बिहार नहीं बल्कि देश की पुरानी यूनिवर्सिटी में से एक है. 1857 में कलकत्ता विश्वविद्यालय, मद्रास विश्वविद्यालय और मुंबई विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी और यह विश्वविद्यालय जो है केंद्रीय विश्वविद्यालय नहीं है. एक नियम यह भी था कि किसी भी विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा तभी मिल सकता है जब उसमें मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज हो. लेकिन जवाहरलाल नेहरू विद्यालय में कोई भी मेडिकल यह इंजरिंग कॉलेज नहीं है. 

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