बिहार में पर्यावरण बचाने की अनोखी पहल, बेटे ने पिता के श्राद्ध कार्यक्रम में बांटे औषधीय पौधे
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बिहार में पर्यावरण बचाने की अनोखी पहल, बेटे ने पिता के श्राद्ध कार्यक्रम में बांटे औषधीय पौधे

 पिछले साल सितंबर में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने जब एनआईआरएफ रिपोर्ट जारी की तो बिहार के परंपरागत विश्वविद्यालय कहीं भी नहीं थे. 

पांच मापदंडों के आधार पर एनआईआरएफ अपनी रैंकिंग में संस्थानों को जगह देता है.

Patna: देश में बेहतरीन शैक्षणिक संस्थान कौन है, इसके लिए शिक्षा मंत्रालय हर साल एक रिपोर्ट जारी करता है. नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क यानि एनआईआरएफ के नाम से जारी की जाने वाली ये रिपोर्ट बताती है कि देशभर में इंजीनियरिंग, मेडिकल,लॉ के लिए बेहतरीन कॉलेज और यूनिवर्सिटी कौन है. पिछले साल जारी एनआईआरएफ की रिपोर्ट ने बिहार को काफी निराश किया था. इस बार भी ऐसा ही कुछ होने वाला है. क्योंकि बिहार की परंपरागत यूनिवर्सिटी में शामिल पटना और पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी ने एनआईआरएफ के लिए अप्लाई ही नहीं किया.

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर एनआईआरएफ के लिए बिहार के परंपरागत विश्वविद्यालय अपनी रिपोर्ट शिक्षा मंत्रालय को क्यों नहीं सौंपते हैं. आखिर बिहार में उच्च शिक्षा की क्या स्थिति है इस बारे में देश को कैसे पता चलेगा. राज्य सरकार ये जरूर कह सकती है कि, पिछले सतरह सालों में कई मैनेजमेंट, लॉ के कॉलेज खुले लेकिन परंपरागत यूनिवर्सिटी आधुनिक शिक्षा, रिसर्च और इनोवेशन के मामले में पिछड़ते चले गए. ऐसा केंद्र सरकार की तरफ से सालाना जारी होने वाली एनआईआरएफ की रिपोर्ट कहती है. पिछले साल सितंबर में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने जब एनआईआरएफ रिपोर्ट जारी की तो बिहार के परंपरागत विश्वविद्यालय कहीं भी नहीं थे. 

इस बार भी जब जुलाई में ताजा आंकड़े आएंगे तो बेहद मुमकिन है कि उच्च शिक्षा में पढ़ाई के मामले में बिहार के लिए कोई खास खबर न हो. कभी ईस्ट का ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाली पटना यूनिवर्सिटी ने एनआईआरएफ के लिए एप्लाई ही नहीं किया. सोच सकते हैं, जब पटना यूनिवर्सिटी ने एनआईआरएफ के लिए एप्लाई नहीं किया तो दूसरी परंपरागत यूनिवर्सिटी के बारे में सोचना भी बेकार है. बिहार के छात्र मानते हैं कि, उच्च शिक्षा में आधारभूत कमी की वजह से प्रतिभा और पैसे का पलायन तेजी से हुआ है. 

राजधानी पटना में ही पटना विश्वविद्यालय के साथ ही पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय,चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, चंद्रगुप्त प्रबंधन संस्थान, आईआईटी जैसे उच्च शैक्षणिक संस्थान है. पटना यूनिवर्सिटी ने एनआईआरएफ के लिए अप्लाई नहीं किया. पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी से इस मामले में जवाब मांगा गया तो जी मीडिया को कोई जवाब नहीं मिला. आईआईटी पटना,चंद्रगुप्त प्रबंधन संस्थान, चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ने एनआईआरएफ को अपनी रिपोर्ट जनवरी में दे दी है. अपनी इन्हें क्या रैंकिंग मिलती है ये जुलाई में शिक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी होने वाली रिपोर्ट में पता चल जाएगा. लेकिन जिस बिहार में शिक्षा का बजट चालीस हजार करोड़ है उस सूबे के विश्वविद्यालय एनआईआरएफ के लिए आवेदन ही न दें तो इससे बड़ा संकट शिक्षा के लिए कुछ हो ही नहीं सकता है. 

दरअसल, जिस एनआईआरएफ का हम जिक्र कर रहे हैं वो क्या है आइए हम इसे समझते हैं. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने शैक्षणिक संस्थानों की पढ़ाई की स्थिति से जुड़ी रिपोर्ट जारी करता है इसे एआईआरएफ कहा जाता है. एनआईआरएफ की कैटेगरी में 11 तरह की पढ़ाई वाले शैक्षणिक संस्थान आते हैं. ये कैटेगरी वाले संस्थान है ओवरऑल यूनिवर्सिटी, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, फॉर्मेसी, कॉलेज, मेडिकल, लॉ, आर्किटेक्चर, डेंटल और रिसर्च पांच मापदंडों के आधार पर एनआईआरएफ अपनी रैंकिंग में संस्थानों को जगह देता है. 

ये मापदंड हैं, टीचिंग, लर्निंग एंड रिसोर्सेज, रिसर्स एंड प्रोफेशनल प्रैक्टिस, ग्रेजुएशन आउटकम्स, आउटरीच एंड इनक्लूसिविटी और पीर परसेप्शन सितंबर 2021 में जब एनआईआऱएफ की रिपोर्ट शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने जारी की थी उसमें बिहार भर स कोई परंपरागत विश्वविद्यालय लिस्ट में नहीं था. इंजीनियरिंग कैटेगरी में आईआईटी पटना 21वें जबकि एनआईटी पटना 72वें स्थान पर था. मैनेजमेंट कैटेगरी में बिहार सरकार की तरफ से स्थापित चंद्रगुप्त प्रबंधन संस्थान 72वें स्थान पर था.

हालांकि, पिछली रैंकिंग जारी होने के बाद पटना यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर गिरिश कुमार चौधरी ने एनआईआरएफ के लिए अप्लाई करने की बात कही थी लेकिन अब पटना विश्वविद्यालय ने इसके लिए दूसरा बहाना बना लिया है. पटना यूनिवर्सिटी के डीन प्रोफेसर अनिल कुमार के मुताबिक, एनआईआएफ के लिए अब साल 2024 में अप्लाई किया जाएगा. अनिल कुमार कहते हैं कि, फिलहाल यूनिवर्सिटी के लिए ये संभव नहीं है क्योंकि यूजीसी की तरफ से नैक मूल्यांकन के लिए तैयारी हो रही है.

दूसरी ओर चंद्रगुप्त प्रबंधन संस्थान के डायरेक्टर राणा प्रताप सिंह के मुताबिक, नई रैंकिंग में स्थान बेहतर होगा. क्योंकि कई नई तरह की कवायद किए गए हैं. एक कहावत है, अखाड़े से पहले मैदान छोड़ने वाली स्थिति कुछ इस तरह की बात बिहार के परंपरागत विश्वविद्यालयों पर लागू होती है. एनआईआरएफ की रैंकिंग में बिहार के परंपरागत विश्वविद्यालय ने अप्लाई नहीं कर अपनी कमियां ही छिपाने की कोशिश की है. 

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