Anant Chaturdashi 2022: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है. इस बार यह तिथि 9 सितंबर को आएगी. अनंत देव भगवान विष्णु का ही विराट स्वरूप हैं. यही वह रूप है जिसे उन्होंने महाभारत में अर्जुन को दिखाया था.
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पटनाः Anant Chaturdashi 2022: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है. इस बार यह तिथि 9 सितंबर को आएगी. अनंत देव भगवान विष्णु का ही विराट स्वरूप हैं. यही वह रूप है जिसे उन्होंने महाभारत में अर्जुन को दिखाया था. भगवान को सभी गुणों से युक्त और परिपूर्ण माना गया है. इसलिए अनंत स्वरूप में उनका मंगलकारी पूजन किया जाता है. मान्यता है कि इस पूजन को विपत्ति काल में दूर करने के लिए किया जाता है. अनंत चतुर्दशी के पूजन से श्रद्धालु के सभी भय, परेशानियां, संकट और अभाव दूर हो जाते हैं.
इस चतुर्दशी के पूजन से श्रदधालु को संतान की प्राप्ति होती है और धन-धान्य सुख सौभाग्य प्राप्त होता है. अग्नि पुराण में अनंत चतुर्दशी व्रत के महत्व का वर्णन मिलता है. इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा करने का विधान है. यह पूजा दोपहर के समय की जाती है. इस व्रत की पूजन विधि इस प्रकार है-
अनंत चतुर्दशी व्रत और पूजा विधि
1. प्रातःकाल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें और पूजा स्थल पर कलश स्थापना करें.
2. कलश पर अष्टदल कमल की तरह बने बर्तन में कुश से निर्मित अनंत की स्थापना करें. सुविधानुसार यहां भगवान विष्णु की तस्वीर भी लगाई जा सकती है.
3. इसके बाद एक धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर अनंत सूत्र तैयार करें, इसमें चौदह गांठें लगी होनी चाहिए. इसे भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने रखें.
4. अब भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की षोडशोपचार विधि से पूजा शुरू करें और नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें. पूजन के बाद अनंत सूत्र को बाजू में बांध लें.
अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव.
अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते.
5. पुरुष अनंत सूत्र को दांये हाथ में और महिलाएं बांये हाथ में बांधे. इसके बाद ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए और सपरिवार प्रसाद ग्रहण करना चाहिए.
इस दिन होता है गणेश विसर्जन
इस दिन अनंत भगवान (भगवान विष्णु) की पूजा के पश्चात बाजू पर अनंत सूत्र बांधा जाता है.ये कपास या रेशम से बने होते हैं और इनमें चौदह गाँठें होती हैं.अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है इसलिए इस पर्व का महत्व और भी बढ़ जाता है.भारत के कई राज्यों में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है.इस दौरान कई जगहों पर धार्मिक झांकियॉं निकाली जाती है.
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