Ganesh Ji ki Katha: जानिए कैसे किया गणेश जी ने चोरी का प्रायश्चित, पूजा के बाद सुनें ये कथा
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Ganesh Ji ki Katha: जानिए कैसे किया गणेश जी ने चोरी का प्रायश्चित, पूजा के बाद सुनें ये कथा

Ganesh Ji ki Katha: गणेशजी ने एक बार गलती से किसी के खेत से 12 दाने तोड़ लिया, कैसे किया उन्होंने इस अपराध का प्रायश्चित. जानिए ये कथा.

Ganesh Ji ki Katha: जानिए कैसे किया गणेश जी ने चोरी का प्रायश्चित, पूजा के बाद सुनें ये कथा

पटना: Ganesh Ji ki Katha: सनातन परंपरा में गणेश जी की पूजा के लिए बुधवार का दिन खास तौर पर शुभ माना जाता है. इस दिन उनकी पूजा करने से शुभता प्राप्त होती है. गणेश जी शुभ-लाभ प्रदान करने वाले देवता हैं. उनकी पूजा के साथ कई कथाएं लोक में प्रचलित हैं. बुधवार को गणेश जी की पूजा के साथ उनकी कथा भी पढ़नी-सुननी चाहिए. ऐसी ही एक कथा यह भी है, जब गणेश जी किसी सेठ के यहां नौकरी करने लगे. गणेश जी सेठ के नौकर कैसे बनें, ये है कथा. 

एक बार गणेश जी एक बहुत सुंदर गांव से गुजर रहे थे. इस गांव के खेत हरे-भरे थे. सुबह का समय था, ठंडी पवन का आनंद लेते हुए गणेश जी मूषक पर सवार होकर चले जा रहे थे. इतने में वह एक खेत से गुजरे तो आनंद वश फसलों में हाथ फिरा दिया. गणेश जी के ऐसा करने से उस फसल के कुछ दाने हाथ में आ गए. 

सेठानी का हाथ पकड़ा
अब गणेश जी को पछतावा हुआ कि उन्होंने तो चोरी कर ली. भले ही उन्होंने जानबूझ कर नहीं चुराया, लेकिन अब फसल के दाने तो उनके हाथ में आ गए. गणेशजी ने गिने तो वह 12 थे. अब गणेश जी ने उस खेत के मालिक को खोजा और उन सेठ जी के यहां बारह साल की नौकरी पर लग गए. एक दिन सेठानी राख से हाथ धोने लगी तो गणेश जी ने सेठानी का हाथ पकड़ कर मिट्टी से हाथ धुलवा दिया. सेठानी ने सेठ जी से शिकायत कि और कहा कि देखो, नौकर ने मेरा हाथ पकड़ लिया. सेठ जी ने गणेश को बुलाकर पूछा कि तुमने  सेठानी का हाथ क्यों पकड़ा. 
 
 गणेश जी ने बोला कि मैंने तो बस ये कह रहा था कि राख से हाथ धोने से घर की लक्ष्मी  नाराज होकर घर से चली जाती है और मिट्टी से हाथ धोने से आती है. सेठ जी ने सोचा कि गणेश ठीक कह रहा है. थोड़े दिनों बाद कुंभ का मेला आया. सेठ जी ने कहा गणेश सेठानी को कुंभ के मेले में स्नान कराके ले आओ. 

सेठानी को लगवाई डुबकी
सेठानी किनारे पर बैठकर नहा रही थी तो गणेश जी उनका हाथ पकड़कर आगे डुबकी लगवा लाये. घर आकर सेठानी ने सेठ से कहा कि गणेश ने तो मेरी इज्जत ही नहीं रखी और इतने सारे आदमियों के बीच में मुझे घसीट कर आगे पानी में ले गए. तब सेठ जी ने गणेश जी को पूछा कि ऐसा क्यों किया तो गणेश जी ने कहा कि  सेठानी किनारे बैठकर गंदे पानी से नहा रही थी.  
तो मैं आगे अच्छे पानी में डुबकी लगवाकर ले आया. इससे अगले जन्म में  बहुत बड़े राजा और राजपाट मिलेगा. सेठ जी ने सोचा कि गणेश ठीक कह रहा है. एक दिन घर में पूजा पाठ हो रही थी.  हवन हो रहा था.  सेठ जी ने गणेश  को कहा की जाओ सेठानी को बुलाकर ले आओ.  
 
काले वस्त्र में पूजा अशुभ
गणेश सेठानी को बुलाने गए तो सेठानी काली चुनरी ओढ़ कर चलने लगी तो गणेश जी ने काली चुनरी फाड़ दी और कहा कि लाल चुनरी ओढ़ के चलो. सेठानी नाराज होकर सो गई सेठ जी ने आकर पूछा क्या बात है तो सेठ ने बोला कि गणेश ने मेरी चुनरी फाड़ दी. सेठ जी ने गणेश को बुलाकर बहुत डांटा तो गणेश जी ने कहा पूजा पाठ में काला वस्त्र नहीं पहनते हैं इसलिए मैंने लाल वस्त्र के लिए कहा. 
 
काला वस्त्र पहनने से कोई भी  शुभ काम सफल नहीं होता है. फिर  सेठजी ने सोचा कि गणेश है तो समझदार. एक दिन   सेठजी पूजा करने लगे तो पंडित जी ने बोला की वो गणेश जी की मूर्ति लाना भूल गया. अब क्या करें ?तो गणेश जी ने बोला कि मेरे को ही मूर्ति बनाकर विराजमान कर लो. आपके सारे काम सफल हो जाएंगे. यह बात सुनकर सेठ जी को भी बहुत गुस्सा आया. और वो बोले कि तुम तो अब तक सेठानी से ही मजाक करते थे मेरे से भी करने लग गए. तो गणेश जी ने कहा मैं मजाक नहीं कर रहा हूं. 
 
गणेश जी खुद बन गए प्रतिमा
मैं सच बात कह रहा हूं. इतने में ही गणेश ने गणेश जी का रूप धारण कर लिया. और सेठ और सेठानी ने ही गणेश जी की पूजा की. पूजा खत्म होते ही गणेश जी अंतर्धान हो गए. सेठ सेठानी को बहुत धोखा हुआ और उन्होंने कहा कि  हमारे पास तो गणेश जी रहते थे और हमने उनसे इतना काम कराया. तो गणेश जी ने सपने में आकर सेठ जी को कहा कि आप के खेत में से मैंने बारह अनाज के दाने तोड़ लिए थे. उसी का दोष उतारने के लिए मैंने आपके यहां काम किया था. सेठ जी के करोड़ों की माया हो गई. हे गणेश जी महाराज जैसा सेठजी को दिया वैसा सबको देना. कहते को सुनते को और सारे परिवार को दे देना. जय श्री गणेश जी.

 

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