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पटनाः Holashtak 2023: सनातन परंपरा में होली का त्योहार मनाए जाने से पहले होलाष्टक लग जाते हैं. होलाष्टक होली से पहले के वे आठ दिन होते हैं, जब शुभ और मांगलिक कार्यों पर एक तरीके से निषेध लग जाता है. यह शोक के दिन माने जाते हैं और समझा जाता है कि होली के पहले आठ दिन निर्णय लेने की क्षमता कम हो जाती है, ज्योतिष के अनुसार भी ये दिन अच्छे नहीं माने जाते हैं. इस बार होलाष्टक की शुरुआत 28 फरवरी से हो रही है.
इस दिन से हैं होलाष्टक
6 फरवरी से फाल्गुन मास शुरू हो चुका है और इस महीने के आखिरी दिन यानी फाल्गुन की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है. इससे पहले फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से ही होलाष्टक लग जाता है, जो कि होलिका दहन के साथ खत्म होता है. इन्हीं 8 दिनों के दौरान कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. इस साल होलाष्टक 28 फरवरी 2023 से शुरू होंगे. इसके बाद 8 मार्च 2023 को होली खेली जाएगी.
होलाष्टक में न करें ये काम
दरअसल, होलाष्टक के 8 दिनों के दौरान राजा राजा हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका के साथ मिलकर अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करने के लिए कठोर कष्ट दिए थे. उसने आखिरी दिन प्रहलाद को जलाकर मारने की कोशिश भी की थी. इसलिए इन 8 दिनों में शुभ कार्य नहीं करते हैं और ज्यादा से ज्यादा समय भगवान की भक्ति में लगाते हैं. होलाष्टक में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से हर तरह के रोग से छुटकारा मिलता है, साथ ही आकस्मिक मृत्यु का खतरा भी टल जाता है.
- होलाष्टक के दौरान हिंदू धर्म से जुड़े सोलह संस्कार जैसे- विवाह, मुंडन समेत कोई भी शुभ कार्य नहीं करते.
- इस दौरान घर-गाड़ी, सोना खरीदने भी अशुभ होता है. नया काम-व्यापार भी नहीं शुरू करते हैं.
- नवविवाहिता को सुसराल में पहली होली देखने की भी मनाही की गई है.
- इस दौरान किसी परिजन की मृत्यु हो जाए तो उसकी आत्मा की शांति के लिए विशेष अनुष्ठान कराने चाहिए.