Daily Aaj Ka Panchang 19 November: आज का पंचांग आपके लिये शुभ तिथि और मुहूर्त लेकर आया है. कल शनिवार है. शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है. शनि देव कर्मों के हिसाब से फल देते हैं.
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पटना: Daily Aaj Ka Panchang 19 November: आज का पंचांग आपके लिये शुभ तिथि और मुहूर्त लेकर आया है. कल शनिवार है. शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है. शनि देव कर्मों के हिसाब से फल देते हैं. इस दिन शनि देव की विधि- विधान से पूजा करने से शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है. एक तरफ जहां शनि देव के अशुभ प्रभावों से व्यक्ति को जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, वहीं शनि के शुभ प्रभावों से व्यक्ति को जीवन में सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है. ऐसा माना जाता है कि शनि रंक को भी राजा बना सकते हैं.
शनिवार को शनिदेव की प्रतिमा पर तेल अवश्य चढ़ाना चाहिए. शनिदेव पर तेल चढ़ाने के कई ग्रह दोष दूर होते हैं. शनिदेव कर्म के देवता माने जाते हैं. आपने जैसा कर्म किया हैं वैसा ही फल भोगना पड़ता है. यही इस जीवन का सत्य है. आपने जो किया है, उसी का परिणाम आपकी जीवन दशा को निर्धारित करेगा. इसलिए सत्कर्म, व्यवहार को जीवन में प्राथमिकता दें. अगर आप ऐसा करते हैं तो शनिदेव से आपको डरने की जरूरत ही नहीं है. आपने जो किया है वह उसी का फल देने वाले हैं.
चलिए जानते है कि आज के पंचांग में क्या खास बता रहे हैं ज्योतिषाचार्य पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी-
आज विक्रम संवत 2019 मार्गशीर्ष मास कृष्ण पक्ष दशमी तिथि शनिवार है आज दशमी तिथि प्रातः 10:29 तक रहेगी तदुपरांत एकादशी तिथि आरंभ हो जाएगी आज उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र पूरे दिन रहेगा आज सूर्योदय के समय विष्कुंभ योग है आज भद्रा की स्थिति रहेगी आज अभी अभिजीत मुहूर्त 12:02 से 12:45 तक है अमृत काल संयम 4:43 से 6:23 तक रहेगा तथा राहुकाल की स्थिति 9.41 से 11:02 तक है
आज का पंचांग
विक्रम संवत 2019
मार्गशीर्ष मास
कृष्ण पक्ष दशमी तिथि
वार-शनिवार
दशमी तिथि प्रातः 10:29 तक रहेगी
तदुपरांत एकादशी तिथि आरंभ हो जाएगी
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र पूरे दिन रहेगा
सूर्योदय के समय विष्कुंभ योग है
आज भद्रा की स्थिति रहेगी
अभिजीत मुहूर्त 12:02 से 12:45 तक है
अमृत काल संयम 4:43 से 6:23 तक रहेगा
राहुकाल की स्थिति 9.41 से 11:02 तक है
गुप्त मनोकामना की पूर्ति के लिए
आज सायंकाल के बाद मिट्टी का चौमुखा दीपक में सरसो का तेल डालकर काले धागे की बत्ती बनाकर पीपल की जड़ के नीचे जलाये. इस दीपक के नीचे एक मिट्टी का काला तिल और तीन छोटी कांटी को अवश्य रखें.