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contingency Crop Scheme: मानसून अपने चरम पर है देश के कुछ हिस्से में बाढ़ ने तबाही मचा रखी है तो वहीं कई हिस्से सूखे की चपेट में हैं किसान दोनों ही हालात में त्राहिमाम कर रहे हैं. देश का एक राज्य बिहार जहां एक तरफ नदियां बाहर से छोड़ी जा रही पानी की वजह से उफान पर हैं तो वहीं दूसरी तरफ मानसून में अल्पवृष्टि और चिलचिलाती गर्मी की वजह से बिहार के किसान सुखाड़ की मार झेल रहे हैं. किसान प्रदेश के कई हिस्सों में सूखे की वजह से परेशान हो रहे हैं. अब बिहार सरकार ने किसानों की सहायता के लिए एक पहल शुरू कर दी है. इसके तहत बिहार सरकार की तरफ से मास्टर प्लान तैयार किया गया है और इस प्लान का किसानों को कैसे लाभ मिलेगा यह जानना जरूरी है.
बता दें कि एक तरफ मानसून ने पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों की हालत खराब कर रखी है. वहीं बिहार सहित कई राज्य ऐसे हैं जहां धान की रोपाई इस वजह से नहीं हो पाई है क्योंकि यहां अपेक्षा से कम बारिश हुई है या बारिश ना के बराबर हुई है. अब बिहार सूखा पड़ने के कगार पर है. ऐसे में धान की फसल भी अब सूखे की चपेट में आ गई है. धान की फसल अगर किसान सिंचाई के जरिए करने की कोशिश भी करेंगे तो इसकी लागत इतनी ज्यादा आएगी की किसानों के लिए इसका वहन करना मुश्किल भरा हो जाएगा. ऐसे में बिहार सरकार ने की तरफ से इसको लेकर एक प्लान तैयार किया गया है.
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अब बिहार के किसान इस विपरित हालात में धान की खेती के बदले किसी वैकल्पिक खेती पर विचार करने लगे हैं. ऐसे में बिहार सरकार ने किसानों की सहायता के लिए आकस्मिक फसल योजना की शुरुआत की है. सरकार भी इस योजना के तहत किसानों को वैकल्पिक फसल लगाने के लिए प्रेरित कर रही है. ऐसे में सरकार की तरफ से सूखाग्रस्त इलाके के किसानों को 15 अलग-अलग तरह के बीज मुफ्त में मुहैया कराए जा रहे हैं.
आकस्मिक फसल योजना के तरह बिहार सरकार सूखाग्रस्त इलाकों के किसानों को वैकल्पिक फसलों के बीज में प्राथमिकता दे रही है. ऐसे में सूखाग्रस्त घोषित इलाके के पंचायत इन वैकल्पिक फसलों के बीज की मांग सरकार से कर सकते हैं. आकस्मिक फसल योजना के तहत ऐसे फसलों के बीज किसानों को निःशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे.
ऐसे में सरकार की तरफ से सूखा घोषित जिले, गांव, पंचायत एवं प्रखंडों में सरकार की तरफ से 15 वैकल्पिक फसलों के बीजों को बांटने का काम बिहार बीज निगम की मदद से होगा. इसमें मक्का (संकर), अरहर, उड़द, तोरिया, सरसों के (अगात), मगर (अगात), भिंड़ी, मूली, कुल्थी, मडुआ, सांवा, कोदो, ज्वार और बरसीम आदि के बीज शामिल होंगे. ऐसे में किसान दो एकड़ जमीन के लिए मुफ्त बीज दो किस्म की वैकल्पिक फसलों की पा सकते हैं.
ऐसे में किसानों को आकस्मिक फसल योजना के तहत आवेदन करना होगा. इसके लिए किसानों को अपने नजदीकी कृषि केंद्र या कृषि विभाग में जाकर योजना संबंधित अधिकारियों से संपर्क करना होगा. इसके लिए किसानों को जमीन के कागजात, आधार कार्ड, पैन कार्ड, फोटो, किसान पंजीकरण संख्या, मोबाइल नंबर और फसल की जानकारी जैसे दस्तावेजों की जरूरत पड़ेगी.