क्या कोई मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री का पैर छू सकता है, क्या कहता है प्रोटोकॉल?
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar2514380

क्या कोई मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री का पैर छू सकता है, क्या कहता है प्रोटोकॉल?

CM Nitish Kumar: भारतीय संस्कृति में पैर छूने की परंपरा मुख्य रूप से बुजुर्गों और उच्च पदस्थ व्यक्तियों के लिए होती है और यह एक सामाजिक और धार्मिक आदत मानी जाती है. सीएम नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सम्मान करते हुए उनके पैर छुए. इधर, पीएम मोदी ने भी उनका सम्मान करते हुए उनको रोक लिया और छोटे भाई की तरह गले से लगा लिया. 

क्या कोई मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री का पैर छू सकता है, क्या कहता है प्रोटोकॉल?

पटना: भारत में प्रोटोकॉल के अनुसार मुख्यमंत्री (CM) प्रधानमंत्री (PM) के पैर छू सकते हैं, लेकिन यह एक व्यक्तिगत या सांस्कृतिक आदत के रूप में देखा जाता है. भारतीय परंपरा में पैर छूने को सम्मान का प्रतीक माना जाता है, खासकर बड़े और सम्मानित व्यक्तियों के प्रति. हालांकि, सरकारी प्रोटोकॉल में ऐसे विशेष कृत्यों के लिए कोई ठोस निर्देश नहीं होते हैं, बल्कि यह उस स्थिति और संबंधित व्यक्तियों के रिश्ते पर निर्भर करता है. ऐसा ही एक उदाहरण हाल ही में देखने को मिला जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दरभंगा एम्स के शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पैर छूने के लिए झुकने का प्रयास किया. हालांकि, पीएम मोदी ने उन्हें रोकते हुए गले लगाने का प्रयास किया और उनका अभिवादन किया. इस घटना की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई.

राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के बीच आदर और सम्मान का आदान-प्रदान औपचारिक या अनौपचारिक रूप में हो सकता है. यदि कोई मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री के पैर छूता है, तो यह उनके प्रति व्यक्तिगत सम्मान को दर्शाता है और इसे प्रोटोकॉल का उल्लंघन नहीं माना जाता है. हालांकि, औपचारिक बैठकें और सरकारी कार्यक्रमों में आमतौर पर इस तरह के व्यक्तिगत कृत्यों की अपेक्षा नहीं की जाती है और सम्मान व्यक्त करने के लिए अन्य तरीके जैसे हाथ मिलाना या शब्दों के माध्यम से सम्मानित किया जाता है.

इसके अलावा उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में पैर छूने की परंपरा मुख्य रूप से बुजुर्गों और उच्च पदस्थ व्यक्तियों के लिए होती है और यह एक सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं से जुड़ा हुआ माना जाता है. इस प्रकार, मुख्यमंत्री का प्रधानमंत्री के पैर छूना एक व्यक्तिगत और सांस्कृतिक परंपरा हो सकती है, लेकिन यह प्रोटोकॉल के नियमों के खिलाफ नहीं है, बशर्ते कि यह उचित और सम्मानजनक तरीके से किया जाए.

साथ ही यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि प्रोटोकॉल और औपचारिकताएं अधिकतर व्यक्ति के व्यवहार और परिस्थिति पर निर्भर करती हैं. जहां एक तरफ पैर छूने को सम्मान की एक अभिव्यक्ति माना जा सकता है, वहीं यह जरूरी नहीं कि यह हमेशा सभी औपचारिक अवसरों पर किया जाए.

ये भी पढ़िए- 7th Pay Commission: राज्यकर्मियों को नीतीश सरकार का बड़ा तोहफा, महंगाई भत्ता बढ़ा

Trending news