Bihar Niyojit Teacher: बिहार में 3.60 लाख नियोजित शिक्षक काम कर रहे हैं. पिछले दस सालों में उनके प्रमाण पत्रों की कई बार जांच की गई, जिसमें 2,600 से ज्यादा शिक्षक फर्जी पाए गए. इस दौरान 1,350 शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. फिलहाल, यह मामला न्यायालय में चल रहा है.
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पटना: बिहार में 32,000 से ज्यादा नियोजित शिक्षक संकट में हैं, क्योंकि उनके शैक्षिक प्रमाण पत्रों में फर्जीवाड़े की आशंका जताई जा रही है. शिक्षा विभाग ने निगरानी विभाग से इसकी शिकायत की है. जानकारी के अनुसार इनमें से कई शिक्षक ऐसे है जो दूसरे राज्यों के प्रमाण पत्रों के आधार पर बिहार के अंदर नौकरी कर रहे हैं. शिक्षा विभाग द्वारा अब इनकी जांच की जाएगी.
शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष केशव कुमार ने कहा कि सरकार हमेशा शिक्षकों का शोषण करती है. उन्होंने बताया कि विभाग के मंत्री, एसीएस और पदाधिकारी बदल गए, लेकिन शिक्षकों को परेशान करने की नीति में कोई बदलाव नहीं आया. साथ ही डॉक्यूमेंट जांच के नाम पर शिक्षकों को प्रताड़ित किया जा रहा है. पिछले दस सालों से उनकी दस्तावेजों की जांच चल रही है, लेकिन निगरानी विभाग के अधिकारी जानबूझकर जांच में देरी कर रहे हैं.
साथ ही शिक्षा विभाग ने निगरानी विभाग को आदेश दिया है कि वह उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और गुजरात के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर संबंधित प्रमाण पत्रों की जांच करे. बिहार में कुल 3.60 लाख नियोजित शिक्षक कार्यरत हैं, जिनमें से 2,600 से अधिक शिक्षक पहले ही फर्जी पाए गए हैं और 1,350 के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. इस समय मामला न्यायालय में चल रहा है. साथ ही बिहार में अधिकांश शिक्षकों के प्रमाण पत्र 18 से 30 साल पुराने हैं, जिससे जांच में कठिनाइयां आ रही हैं. कई रिकॉर्ड मैन्युअल रूप से हैं और कई विश्वविद्यालयों में ये रिकॉर्ड क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जिसके कारण जांच में अधिक समय लग रहा है. जिन शिक्षकों के प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और उनका वेतन भी वसूला जाएगा.
इसके अलावा 1,400 शिक्षकों के CTET में 60% से कम अंक पाए जाने का मामला भी सामने आया है. नियमानुसार, बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों को CTET में 60% से अधिक अंक प्राप्त करना जरूरी है. विभाग के अनुसार राज्य में नौकरी करने वाले अब तक 1.87 लाख शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच हो चुकी है. इसके अलावा 37 हजार शिक्षकों ने अब तक अपने प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं कराया है, जिससे संदेह और बढ़ गया है. विभाग का कहना है कि इस मामले में सभी की जांच की जाएगी.
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