मुजफ्फरपुरः जहां जलती है चिताएं, वहीं शिक्षा की अलख जगा रहे तीन दोस्त
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मुजफ्फरपुरः जहां जलती है चिताएं, वहीं शिक्षा की अलख जगा रहे तीन दोस्त

Teachers Day Special: मुजफ्फरपुर में एक स्थान ऐसा है जहां भूत प्रेत का बसेरा होता है. जहां जाने से लोग भी डरते है. वहीं तीन ऐसे दोस्त जो जलती चिताएं के बीच बच्चों के अंदर शिक्षा की अलख जगा रहे है

मुजफ्फरपुरः जहां जलती है चिताएं, वहीं शिक्षा की अलख जगा रहे तीन दोस्त

मुजफ्फरपुरः Teachers Day Special: मुजफ्फरपुर में एक स्थान ऐसा है जहां भूत प्रेत का बसेरा होता है. जहां जाने से लोग भी डरते है. वहीं तीन ऐसे दोस्त जो जलती चिताएं के बीच बच्चों के अंदर शिक्षा की अलख जगा रहे है. दरअसल, तीनों दोस्त अप्पन पाठशाला खोल कर बुनियादी शिक्षा से वंचित बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं और यह विद्यालय शहर के मुक्तिधाम में बना हुआ है.

पांच साल से मुक्तिधाम में संचालित है विद्यालय
बता दें कि मुजफ्फरपुर शहर के मुक्तिधाम में पिछले पांच साल से तीन दोस्तों ने बच्चों के बीच शिक्षा का अलख जगा रहे हैं. चंपारण के सुमित, सीतामढ़ी के सुमन सौरव और मुजफ्फरपुर से अभिराज कुमार इन तीनों ने बुनियादी शिक्षा से वंचित बच्चों को साक्षर बनाने का जो बीड़ा उठाया है वह काबिले तारीफ है. बता दें कि कचरा चुनने वाले और मुक्तिधाम में आए पार्थिव शरीर से फल व अन्य वस्तुओं को उठाने वाले हाथों में कॉपी व कलम और स्लेट व पेंसिल बच्चों के संस्कार व चरित्र में परिवर्तन कर रहा है और वहां बच्चे पढ़ते हैं, दो दूनी चार और पांच दूनी दस आदि. साथ ही बता दें कि इनसे शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र और उनके अभिभावक काफी खुश है.

बच्चों को शिक्षित करने का युवाओं ने उठाया बीड़ा
चंपारण के सुमित, सीतामढ़ी के सुमन सौरव और मुजफ्फरपुर से अभिराज कुमार ने अपनी पढ़ाई पूरी करने बाद निर्णय लिया कि शिक्षा से वंचित बच्चों को शिक्षित करने का कार्य किया जाएगा. शुरुआती दिनों में बच्चों को पढ़ाने के लिए जब जगह नहीं मिली तो मुक्तिधाम को ही एक जरिया बनाया. पांच साल पहले मुक्तिधाम में बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. पहले तो काफी डर और परेशानी होती थी, लेकिन धीरे-धीरे सब ठीक लगने लगा. पहले बच्चों की संख्या कम थी लेकिन वर्तमान में बच्चे ठीक-ठाक संख्या में शिक्षा प्राप्त करने में पहुंच रहे हैं.

इस कार्य में अभिभावकों का मिल रहा सहयोग
बता दें कि मुक्तिधाम में पिछले पांच साल से बच्चों को पढ़ाने का कार्य किया जा रहा है. यह कार्य तभी संभव हो पाया है, जब बच्चों के अभिभावकों का सहयोग मिला. उन्होंने विश्वास जताया और बच्चों को पढ़ने के लिए मुक्तिधाम में भेजा. सही मायने में अभिभावकों की वजह से ही पाठशाला की ओर से बच्चों को पढ़ाने का कार्य किया जा रहा है. इस विद्यालय में कई बच्चे ऐसे है जो पढ़ लिखकर परीक्षा में अच्छे अंक से पास हुए हैं.

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