बिहार के इस इलाके में अब बाढ़ से नहीं होगी तबाही, रंग लाई जल संसाधन विभाग की मेहनत
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar1257609

बिहार के इस इलाके में अब बाढ़ से नहीं होगी तबाही, रंग लाई जल संसाधन विभाग की मेहनत

Bihar flood: जल संसाधन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि गोपालगंज के छह प्रखंडों में गंडक नदी हर साल तबाही मचाती है. जलस्तर बढ़ने पर बाढ़ का खतरा और जलस्तर में गिरावट के बाद कटाव का खतरा बना रहता है.

बाढ़ नियंत्रण विभाग ने कटाव रोकने के लिए जियो ट्यूब का परीक्षण किया है.

गोपालगंज: Bihar flood: बिहार में बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए एक अच्छी खबर है कि तटबंधों को अब न केवल टूटने से बचाया जा सकेगा, बल्कि उफनती नदियों की धारा को बदला भी जा सकेगा. दरअसल, गोपालगंज के सदर प्रखंड के पतहरा छरकी में जल संसाधन विभाग ने गंडक नदी में जियो ट्यूब स्टर्ड लगाकर परीक्षण किया, जिसके परिणाम उत्साहजनक आए हैं.

गंडक नदी हर साल मचाती है तबाही 
जल संसाधन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि गोपालगंज के छह प्रखंडों में गंडक नदी हर साल तबाही मचाती है. जलस्तर बढ़ने पर बाढ़ का खतरा और जलस्तर में गिरावट के बाद कटाव का खतरा बना रहता है. विभाग अब तक छोटे-छोटे बैग में बालू भरकर स्टर्ड यानी ठोकर बनाकर इसे रोकने का प्रयास करती थी. इस वर्ष जल संसाधन मंत्री संजय झा की पहल पर बाढ़ नियंत्रण विभाग ने कटाव रोकने के लिए जियो ट्यूब का परीक्षण किया है.

5 स्टर्ड का निर्माण कराया गया 
जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता प्रकाश दास ने बताया कि नदी का रुख बदलने के लिए पहले ट्रेडिशनल तरीके से काम किया जाता था. लेकिन इस बार नई तकनीक द्वारा नदी का रुख बदलने के लिए बिहार में पहली बार टेस्टिंग के लिए जियो ट्यूब स्टर्ड का निर्माण किया गया है. अभी फिलहाल 5 स्टर्ड का निर्माण कराया गया है, जो काफी कारगर साबित हुआ. अगले साल अन्य जगहों पर लगाई जाएगी.

तटबंधों पर दबाव कम किया
उल्लेखनीय है कि नदियों की धार को बदलकर तटबंधों पर दबाव कम किया जाता है, जिससे तटबंध को बचाया जा सके. उन्होंने बताया कि जियो ट्यूब पॉलीमर प्रोपेलीन मैटेरियल से बना है. यह एडवांस तकनीक से बना एक तरह का हार्ड सिंथेटिक कपड़ा होता है. उन्होंने बताया कि एक ट्यूब में करीब 53 टन सेलरी (बालू) भरा जाता है. इसके निर्माण में लागत की बात करें तो एक ट्यूब में लगभग एक लाख और एक स्टर्ड बनाने में करीब दस लाख खर्च होते हैं.

54 लाख की लागत से पांच स्टर्ड
वर्तमान में परीक्षण के लिए 54 लाख की लागत से पांच स्टर्ड के लिए 12 ट्यूब लगाए गए हैं. जो अब तक काफी कारगर साबित हुए. इस बार लगातार हुई बारिश और वाल्मीकि नगर बराज से छोड़े गए पानी पार हुई लेकिन बांध पर कोई असर नहीं हुआ. विभाग का दावा है कि वाल्मीकि नगर बराज से छोड़े गए 2 लाख 70 हजार क्यूसेक जलस्तर से भी बांध पर कोई असर नहीं हुआ.
उल्लेखनीय है कि बिहार में प्रतिवर्ष बाढ़ से जानमाल की काफी क्षति होती है.

(आईएएनएस)

Trending news