फैजान इंटर पास है जबकि शमशाद व अन्य प्राइमरी स्कूल पास हैं जो प्रवासी मजदूर हैं. इधर, घायलों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. फैजान की मां मेहरून नेशा का आरोप है कि यहां रोजगार नहीं मिलने के कारण बच्चे परिवार के भरण पोषण हेतु प्रदेश कमाने गए हैं.
Trending Photos
पटना : पुलवामा आतंकी हमले की याद एक बार फिर ताजा हो गई है. शनिवार की देर शाम जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए फायरिंग की घटना में बिहार के रामनगर निवासी दो मजदूर शमशाद और फैजान को गोली लग गई. जिन्हें गंभीर हालत में इलाज के लिए कश्मीर स्थित अस्पताल में भर्ती कराया गया है. हालांकि फैजान की स्थिति फिलहाल खतरे से बाहर बताई जा रही है, लेकिन शमशाद अपनी जिंदगी की जंग से लड़ रहा है. दरअसल, बिहार के पश्चिम चंपारण जिला अंतर्गत रामनगर थाना क्षेत्र के मंगुरहा देवराज से करीब आधा दर्जन युवा मजदूरी करने पुलवामा गए थे, जो कल देर शाम काम कर वापस लौट रहे थे, तभी आतंकियों के गोली का निशाना बन गए.
घायल मजदूर के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल
बता दें कि फैजान इंटर पास है जबकि शमशाद व अन्य प्राइमरी स्कूल पास हैं जो प्रवासी मजदूर हैं. इधर, घायलों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. फैजान की मां मेहरून नेशा का आरोप है कि यहां रोजगार नहीं मिलने के कारण बच्चे परिवार के भरण पोषण हेतु प्रदेश कमाने गए हैं. फैजान के परिवार में पांच भाई और विधवा मां है. पिता की वर्षों पहले मृत्यु हो चुकी है लिहाजा हर परिवार चलाने के लिए काश्मीर के पुलवामा में मजदूरी करने गया है. इन्होंने सोंचा भी न था कि ऐसी घटना हो जाएगी जिसने सबको झकझोर कर रख दिया है. अब परिजन सरकार व प्रशासन से मदद की मांग कर रहे हैं. साथ ही रोजगार मुहैया कराने की बात कर रहे हैं ताकि दूसरे प्रदेश न जाना पड़े और ऐसे हादसों का शिकार होने से लोग बच सकें. वहीं शमशाद के परिजनों ने भी रोजगार नहीं मिलने के चलते मजदूरी करने गांव के अन्य लोगों के साथ पुलवामा जाने की बात कही है.
सात महीने पहले युवा गए थे कश्मीर
बता दें कि रामनगर थाना क्षेत्र के मंगुरहा देवराज से कुल 7 युवा रोजगार की तलाश में जम्मू कश्मीर के पुलवामा में विगत 7 महीने पहले गए थे, जो रोज की तरह काम कर के शाम को अपने डेरा लौटते थे. इसी क्रम में शनिवार देर शाम जब ये लोग वापस लौट रहे थे तभी अचानक इनको गोली लग गई. घटना की सूचना के बाद पीड़ितों के परिजनों के बीच कोहराम मचा हुआ है. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि पुलवामा में हुए आतंकियों के इस गोलीबारी की घटना में जख्मी मजदूरों को सरकारी स्तर पर क्या सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं. क्योंकि जख्मी मजदूरों के साथ-साथ उनके आश्रितों को राहत और मुआवजे की दरकार है.
इनपुट- इमरान अजीज