बेतिया जिले में चनपटिया बिस्कोमान गोदाम पर यूरिया खाद लेने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ गई, घंटों इंतजार के बाद भी खाद नहीं मिलने से नाराज लोग आपस में ही मारा-मारी पर उतर आए.
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Bettiah: बिहार में यूरिया की किल्लत दूर होने का नाम नहीं ले रही है. किसानों को समय पर यूरिया उपलब्ध कराने के हर प्रशासनिक दावे फेल होते दिख रहे हैं. अलग-अलग जिलों से आए दिन यूरिया खाद के लिए लोग मारा-मारी पर उतर आए हैं. वहीं, बेतिया जिले में चनपटिया बिस्कोमान गोदाम पर यूरिया खाद लेने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ गई, घंटों इंतजार के बाद भी खाद नहीं मिलने से नाराज लोग आपस में ही मारा-मारी पर उतर आए.
पुरुष तो छोड़िए महिलाएं धक्का-मुक्की के साथ एक दूसरे की पिटाई करती नजर आईं. इतना हीं नहीं भीड़ में हो रही मारपीट को देखने के बाद भी मौके पर मौजूद पुलिस और प्रशासन मूकदर्शक बने रहे. खाद के वितरण के लिए प्रशासन द्वारा कोई रोड मैप तैयार नहीं किया गया हैं, जिसके कारण सभी वितरण केन्द्र पर अव्यवस्था का आलम देखने को मिल रहा है.
दरअसल, खाद की किल्लत से जुझ रहे किसानों को जब पता चला कि गोदाम में खाद की खेप पहुंची है तो बड़ी संख्या में लोग चनपटिया के बिस्कोमान गोदाम पहुंच गए. भारी भीड़ के चलते यूरिया वितरण का काम रोक दिया गया, जिसके बाद गुस्साए लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया. हंगामे के चलते कई लोगों को बिना खाद लिए ही वापस लौटना पड़ा.
वहीं, लोगों का कहना है कि वो 3 बजे सुबह से ही कतार में खड़े हैं लेकिन उनकी कोई सुध लेने वाला नहीं हैं. हंगामे के कारण लोगों को यूरिया नहीं मिल रहा हैं. बगैर यूरिया के ही लोग खाली हाथ लौटने को मजबूर हैं.
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ऐसे में किसानों के सामने विडम्बना ये है कि अनुकूल मौसम और रुक-रुककर हो रही बारिश से किसान अच्छी पैदावार लेने के लिए दिन-रात एक करने में जुटे हैं लेकिन सरकार के लाख जतन के बावजूद प्रखंड क्षेत्र में लगातार दो हफ्ते से यूरिया की किल्लत बरकरार है. लिहाजा लहलहाते धान की फसल यूरिया के अभाव में दम तोड़ रही है. प्रखंड क्षेत्र के दर्जनों धान उत्पादक किसानों ने बताया कि इन दिनों बाजार में यूरिया की काफी किल्लत चल रही है. खेतों में लगी लहलहाती धान की फसल बर्बाद होने के कगार पर पहुंच गयी है.
इधर, सोमवार को भी कैमूर के रामगढ़ बिस्कोमान केंद्र पर यूरिया खाद के लिए लगी लंबी लाइन में खाद पहले लेने के लिए धक्कामुक्की होने लगी, फिर लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया. बाद में पुलिस प्रशासन के हस्तक्षेप से मामला शांत हुआ. यही हाल लगभग बिहार में गया, रोहतास जैसे कई जिलों के किसानों का है.
(इनपुट- इमरान अज़ीज़)