Bihar Lok Sabha Election 2024: बिहार-झारखंड सहित समूचे उत्तर भारत में सूरज आंखें दिखाने लगा है. वहीं लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार का सियासी पारा भी सातवें आसमान पर पहुंच चुका है. धुआंधार प्रचार में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. पहले चरण के मतदान में अब सिर्फ एक सप्ताह का वक्त बचा है. पहले चरण में 2 सुरक्षित सीटों (गया और जमुई) पर भी मतदान होना है. कुल मिलाकर बिहार की 40 में से 6 सीटें गया, जमुई, समस्तीपुर, हाजीपुर, भागलपुर और सासाराम सुरक्षित हैं. इन सीटों पर एनडीए और महागठबंधन के घटकदलों के सभी उम्मीदवारों के बीच पहला मुकाबला होगा. इस बार कई सुरक्षित सीटों पर आमने-सामने नये लड़ाके होंगे. बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में हाजीपुर, समस्तीपुर और जमुई पर लोजपा तो गोपालगंज, सासाराम और गया से बीजेपी के प्रत्याशी चुने गए थे. हालांकि, 18वीं लोकसभा चुनाव में NDA के लिए बिहार की सभी 6 सुरक्षित सीटों पर कब्जा बरकरार रखना बड़ी चुनौती है.
- सबसे पहले गया सुरक्षित सीट की बात करते हैं. यहां एनडीए की ओर से हम पार्टी के संरक्षक जीतन राम मांझी मैदान में हैं. उनके सामने महागठबंधन से राजद के कुमार सर्वजीत हैं. मांझी तो पहले भी गया से लोकसभा का चुनाव लड़ते रहे हैं, लेकिन कुमार सर्वजीत पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में इन दोनों प्रत्याशियों के बीच पहली बार मुकाबला हो रहा है. बता दें कि 33 साल पहले कुमार सर्वजीत के पिता राजेश कुमार और जीतन राम मांझी के बीच मुकाबला हुआ था. उस चुनाव में राजेश कुमार ने जीतन राम मांझी को शिकस्त दी थी. इस बार राजेश कुमार के बेटे कुमार सर्वजीत और जीतन राम मांझी आमने-सामने है.
- जमुई सुरक्षित सीट पर इस बार दिलचस्प लड़ाई दिख सकती है. दरअसल, लोजपा (रामविलास) अध्यक्ष चिराग पासवान इस बार जमुई छोड़कर हाजीपुर चले गए हैं. उन्होंने अबकी यहां से अपने जीजा अरुण भारती को मैदान में उतारा है. अरुण भारती ग्रेजुएट है और उनकी पढ़ाई लिखाई लंदन से हुई है. इनकी मां डॉक्टर ज्योति बिहार में कांग्रेस की बड़ी नेता रही हैं. वो विधायक, विधान पार्षद के साथ ही बिहार सरकार में मंत्री रह चुकी हैं, लेकिन अरुण पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं आरजेडी ने जमुई से अर्चना रविदास को प्रत्याशी बनाया है. अर्चना रविदास भी पोस्ट ग्रेजुएट है और उसकी पढ़ाई लिखाई जमुई से ही हुई है. राजद प्रत्याशी भी पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रही हैं.
- समस्तीपुर सुरक्षित सीट पर एनडीए में चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) और महागठबंधन में कांग्रेस के बीच मुकाबला होगा. लोजपा (रामविलास) की ओर से जेडीयू के वरिष्ठ नेता और नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी को उतारा गया है. शांभवी एक बड़े राजनीतिक परिवार से आती हैं लेकिन यह उनका पॉलिटिकल डेब्यू है, मतलब वह पहली बार चुनाव लड़ रही हैं. वहीं कांग्रेस ने अभी तक अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. बता दें कि पिछले बार यहां से लोजपा की टिकट रामविलास पासवान के भाई रामचंद्र पासवान जीते थे. उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनके बेटे प्रिंस राज सांसद बने थे. प्रिंस राज इस समय रालोजपा का हिस्सा हैं और इस बार यह सीट लोजपा (आर) को मिली है. इसके चलते उनका टिकट कट गया है.
- हाजीपुर में भी समस्तीपुर की तरह ही स्थिति है. यहां पर भी महागठबंधन की ओर से राजद ने अभी तक अपना उम्मदीवार का नाम घोषित नहीं किया है. वहीं एनडीए की ओर से लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान खुद चुनाव लड़ रहे हैं. यह सीट चिराग के दिवंगत पिता रामविलास पासवान की कर्मभूमि रही है. पिछली बार इस सीट से रामविलास के भाई पशुपति पारस जीते थे. रामविलास के निधन के बाद पशुपति पारस ने परिवार और पार्टी दोनों का विभाजन कर लिया था. इससे एनडीए में इस सीट को लेकर चाचा-भतीजे में काफी संघर्ष देखने को मिला और अंत में भतीजे चिराग की जीत हुई. अब वह अपने पिता की राजनीतिक विरासत पाने की जंग लड़ रहे हैं.
- सासाराम सुरक्षित सीट पर मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच होगा. बीजेपी ने इस बार सिटिंग सांसद छेदी पासवान का टिकट काटकर शिवेश राम को मैदान में उतारा है. तो वहीं कांग्रेस की ओर से अभी तक उम्मीदवार नहीं आया है. सियासी गलियारों में चर्चा है कि कांग्रेस पार्टी इस बार पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के बेटे को अंशुल अभिजीत को टिकट दे सकती है. शिवेश राम को राजनीति विरासत में मिली है. उनका परिवार भी बीजेपी से जुड़ा रहा है. उनके पिता मुन्नीलाल केंद्र सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. हालांकि, शिवेश पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. दूसरी ओर अगर कांग्रेस से अंशुल अभिजीत को टिकट मिलता है तो यह उनका पॉलिटिकल डेब्यू होगा.
- इन छह में सिर्फ गोपालगंज ही एक मात्र सीट है, जहां से वर्तमान सांसद को टिकट मिला है. नीतीश कुमार ने एक बार फिर से सिटिंग सांसद डॉ आलोक कुमार सुमन पर भरोसा जताया है. वह लगातार दूसरी बार यहां से मैदान में हैं. वहीं, महागठबंधन में राजद ने अपने कोटे से इस सीट को वीआईपी को दे दिया है. वीआईपी पहली बार यहां चुनाव लड़ेगी. वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी ने ऐलान किया है कि वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. अब देखना होगा कि वह किसे टिकट देते हैं. अभी तक की संभावना के मुताबिक, किसी ऐसे नेता को टिकट मिल सकती है जो पहली बार चुनाव लड़ रहा हो.
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