Jamui News: पंचायत से लेकर प्रखंड तक के विभागीय कर्मी एवं पदाधिकारी की ताल मेल से सरकारी राशि की लूट का जरिया बना लिया है. वहीं इस मामले में अब जिले के उप विकास आयुक्त सुमित कुमार ने जांच के निर्देश दिए हैं.
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Jamui News: बिहार के जमुई में मनरेगा योजना में घोटाले की जानकारी सामने आई है. आरोप है कि यहां मनरेगा के तहत सरकारी पैसे की बंदरबांट हुई है. दरअसल, गिद्धौर प्रखंड के पतसंडा पंचायत के गिद्धौर आहार से पश्चिम शिव नारायण मोदी के खेत तक आहार का मरम्मतत कार्य के नाम पर सरकारी पैसों का गबन किया गया. बिहार सरकार के वर्क रजिस्टर डिटेल्ड ic/0550004003/WH/44841 के मुताबिक, इस कार्य के लिए 8 लाख 56 हजार कुछ रुपए की निकासी की गई. ये रकम खुदाई कराने के लिए निकाली गई थी. लेकिन खुदाई की जगह कुदाल से सिर्फ नाम मात्र की छीलाई किया गया. पंचायत के रोजगार सेवक प्रभात रंजन कुमार के द्वारा आहार का कार्य मजदूर से पूर्ण नहीं करके मजदूर के द्वारा पुराने फोटो का फोटो दिखाकर एनएमएस किया गया है, क्योंकि अभी आहार में चार से 5 फीट पानी भरा हुआ है, तो आहार में एनएमएस कैसे किया जा सकता है.
विभागीय साइट पर मजदूरों की पुरानी फोटो को अपलोड कर सरकारी राशि पीआरएस द्वारा 7 लाख 22 हजार 780 रूपये निकासी कर लिया गया. वही पंचायत के मजदूरों को रोजगार की गारंटी के तहत अपने गांव में काम उपलब्ध कराना होता है. जानकारी के अनुसार गिद्धौर प्रखंड भर में 40 से अधिक जगहों में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना मनरेगा के तहत योजनाएं संचालित हो रही है. यहां पैन सफाई,तालाब खुदाई, वृक्षारोपण एवं मिट्टी भराई के कार्य के अलावे सहित 40 से अधिक योजनाओं का संचालन हो रहा है. बता दें कि कार्यस्थल पर योजना का बोर्ड नहीं लगाए जाने से सरकारी राशि की लूट करने की आजादी है. हालांकि इस योजना में मीडिया तक बात पहुंचाने की बात की जानकारी होने के बाद आनंद-खनन में बोर्ड तो लगाए गए, लेकिन प्रक्लित राशि के अनुसार कार्य नहीं की गई.
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ऐसे में आम लोगों को योजना और प्राक्कलन की जानकारी नहीं मिल पाती है. पंचायत से लेकर प्रखंड तक के विभागीय कर्मी एवं पदाधिकारी की ताल मेल से सरकारी राशि की लूट का जरिया बना लिया है. वहीं इस मामले में अब जिले के उप विकास आयुक्त सुमित कुमार ने जांच के निर्देश दिए हैं. देखना अब यह होगा कि जो विपिन कुमार इस तरह के घटिया कार्य में संलिप्त है और उन्हीं को जांच की जिम्मेदारी दी गई हो तो ऐसे में जांच कर कार्रवाई की उम्मीद ही क्या की जा सकती है. देखना अब यह होगा कि जिले के आलाधिकारी इस मामले को लेकर संज्ञान लेते हैं या फिर इसी तरह पैसे की बंदरबांट करने के लिए छोड़ जाते हैं.
रिपोर्ट- अभिषेक