झारखंड: 5 चरणों में होंगे विधानसभा चुनाव, 30 नवंबर को पहले चरण की वोटिंग, 23 दिसंबर को रिजल्ट
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झारखंड: 5 चरणों में होंगे विधानसभा चुनाव, 30 नवंबर को पहले चरण की वोटिंग, 23 दिसंबर को रिजल्ट

झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Elections) का बिगुल बज चुका है. मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा (Sunil Arora) ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव की तारीखों का ऐलान किया.

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा की. (फाइल फोटो)

रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Elections 2019) का बिगुल बज चुका है. मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा (Sunil Arora) ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव की तारीखों का ऐलान किया. 81 विधानसभा सीटों वाले झारखंड में कुल पांच चरणों में चुनाव होंगे. 23 दिसंबर को चुनाव परिणाम की घोषणा होगी.

30 नवंबर को पहले चरण के लिए वोट डाले जाएंगे. पहले चरण में 13 विधानसभा सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे. सात दिसंबर को दूसरे चरण, 12 दिसंबर को तीसरे चरण, 16 दिसंबर को चौथे चरण और 20 दिसंबर को पांचवे यानी अंतिम चरण के लिए वोट डाले जाएंगे. मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोरा ने कहा कि झारखंड के 19 जिले नक्सल प्रभावित हैं.

हाल ही में चुनाव आयोग की टीम ने झारखंड की राजधानी रांची में सभी सियासी दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी. इस बैठक में कम चरणों में चुनाव कराने की मांग भी उठी थी. इसके बाद आयोग की टीम ने सभी जिला के एसपी, डीएम और डीजीपी के साथ बैठक कर चुनाव की तैयारियों की समीक्षा की थी.

इसी के साथ राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है. वर्तमान झारखंड विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी 2020 को खत्म हो रहा है. कुल 81 सीटें हैं, जिसमें 9 एससी के लिए सुरक्षित सीटें हैं. राज्य में 2.65 करोड़ मतदाता हैं. चुनाव आयोग की टीम 17 और 18 अक्टूबर को रांची आई थी और तैयारियों का जायजा लिया था. इस दौरान राज्य के आला अधिकारियों के साथ बैठक भी की थी. फोर्स की उपलब्धता और हेलीकॉप्टर पर बातचीत हुई थी. सूबे के 24 में से 19 जिले नक्सल प्रभावित हैं. 13 अतिनक्सल प्रभावित जिले हैं.

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झारखंड में कुल 81 विधानसभा सीटें हैं. 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को 49 सीटों पर जीत मिली थी और रघुवर दास को मुख्यमंत्री बनाया गया था. वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) 17 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रही थी. इसके अलावा बाबू लाल मरांडी की पार्टी को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी. साथ ही कांग्रेस नीत यूपीए को महज पांच सीटों से समझौता करना पड़ा था.