धनबादः खाटू धाम अखंड ज्योत यात्रा के स्वागत में जुटी भाजपा नेत्री रागिनी सिंह
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धनबादः खाटू धाम अखंड ज्योत यात्रा के स्वागत में जुटी भाजपा नेत्री रागिनी सिंह

राजस्थान के खाटू धाम मंदिर से अखंड ज्योत लेकर चला श्याम रथ शुक्रवार की रात गोविंदपुर पहुंचा. जहां से शनिवार की सुबह श्री श्याम मंदिर झरिया के लिए प्रस्थान किया.

धनबादः खाटू धाम अखंड ज्योत यात्रा के स्वागत में जुटी भाजपा नेत्री रागिनी सिंह

धनबादः राजस्थान के खाटू धाम मंदिर से अखंड ज्योत लेकर चला श्याम रथ शुक्रवार की रात गोविंदपुर पहुंचा. जहां से शनिवार की सुबह श्री श्याम मंदिर झरिया के लिए प्रस्थान किया. रथ के साथ सैकड़ों श्रद्धालु के अलावा भजन कीर्तन मंडली भी शामिल है. ज्योति यात्रा के स्वागत के लिए गोविंदपुर से झरिया तक जगह-जगह साज-सज्जा की गई है.

भाजपा नेत्री स्वागत के लिए रही मौजूद 
इसी कड़ी में सरायकेला कोलाकुशमा के समीप सिंह मेंशन के सामने शिविर लगाया गया है. जहां भाजपा नेत्री रागिनी सिंह पूरी श्रद्धा से ज्योत रथ के स्वागत के लिए अपने समर्थकों के साथ मौजूद रही. इस दौरान भाजपा नेता सह पूर्व विधायक संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह ने अपने हाथों से ज्योत रथ के गुजरने वाले मार्ग को गाय के गोबर से लिप कर अल्पना बनाई. साथ ही रंग अबीर-गुलाल से सड़कों को सजाया गया है. इस स्वागत समारोह में नेत्री रागिनी सिंह की श्रद्धा और समर्पण को काफी सराहा गया.

अखंड ज्योत लेकर चला श्याम रथ
मालूम हो कि राजस्थान के खाटू धाम मंदिर से अखंड ज्योत लेकर चला श्याम रथ शुक्रवार की रात गोविंदपुर पहुंचा था. जहां से श्याम कीर्तन मंडल गोविंदपुर ने पुष्पमाला अर्पित कर अखंड ज्योत का स्वागत किया था. वहीं अखंड ज्योत यात्रा सुबह गोविंदपुर से झरिया के लिए प्रस्थान किया. इस दौरान सुरक्षा के दृष्टिकोण से जिला पुलिस सभी चौक चौराहों पर अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की है. जबकि ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए कई स्थानों पर रूट को वन-वे किया गया है.

जानें 'हारे का सहारा' क्यों बने बर्बरीक
पौराणिक कथाओं के अनुसार, बर्बरीक की मां को संदेह था कि पांडव महाभारत का युद्ध नहीं जीत सकते हैं. वहीं, अपने बेटे बर्बरीक की शक्ति देख उन्होंने वचन मांगा कि तुम युद्ध देखने तो जाओ, लेकिन अगर वहीं, तुम्हें युद्ध करना पड़ जाए तो तुम्हे हारने वाले का ही साथ देना है. मां के लाडले बर्बरीक ने अपनी मां की बात मानी और वचन दिया कि मैं हारने वाले का ही साथ दूंगा, इसलिए उन्हें 'हारे का सहारा' भी कहा जाता है. इसके बाद बर्बरीक युद्ध देखने के लिये घोड़े पर सवार होकर चल पड़े.  
इनपुट- नितेश कुमार मिश्रा

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