कल्पवास मेले में जिला प्रशासन के दावे फेल, मूलभूत सुविधा के नहीं है इंतजाम
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कल्पवास मेले में जिला प्रशासन के दावे फेल, मूलभूत सुविधा के नहीं है इंतजाम

सिमरिया मुक्तिधाम के नाम से प्रसिद्ध है और श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है तो वही सिमरिया को मिथिलांचल का द्वार भी कहा जाता है. साथ ही साथ ऐसी मान्यता है कि राजा बिदेह एवं शिवभक्त विद्यापति ने अपने अंत समय में इसी गंगा तट पर कल्पवास किया था

कल्पवास मेले में जिला प्रशासन के दावे फेल, मूलभूत सुविधा के नहीं है इंतजाम

दरभंगा : बेगूसराय जिले के सिमरिया गंगा धाम में एक माह तक चलने वाले कल्पवास मेले को भले ही राजकीय मेले का दर्जा मिल गया, लेकिन जिला प्रशासन की ओर से कल्प वासियों के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं. आलम यह है कि हजारों की संख्या में पहुंच चुके कल्प वासी शौचालय और पानी के लिए भी इधर उधर भटक रहे हैं.

कल्पवास मेला क्यों है विशेष
सिमरिया मुक्तिधाम के नाम से प्रसिद्ध है और श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है तो वही सिमरिया को मिथिलांचल का द्वार भी कहा जाता है. साथ ही साथ ऐसी मान्यता है कि राजा बिदेह एवं शिवभक्त विद्यापति ने अपने अंत समय में इसी गंगा तट पर कल्पवास किया था और अपने शरीर का परित्याग किया था. वर्षों से चली आ रही परंपरा आज भी जारी है और हजारों हजार की संख्या में बिहार सहित दूसरे प्रदेश से आकर श्रद्धालु यहां कार्तिक माह में एक मास तक गंगा किनारे कल्पवास करते हैं और पूजा अर्चना करते हैं. पूर्व में सरकार के द्वारा थोड़े बहुत इंतजाम किए जाते रहे थे, लेकिन बाद में इसे राजकीय मेले का दर्जा मिल गया. पिछले 2 साल कोरोना की वजह से यहां मेले का आयोजन नहीं हुआ,लेकिन इस बार बड़ी संख्या में कल्पवासी सिमरिया गंगा तट पर पहुंच चुके हैं. जिला प्रशासन की तरफ से यहां कोई इंतजाम नहीं होने से कल्प वासियों में आक्रोश है.

मेले में मूलभूत सुविधाओं का नहीं है इंतजाम
प्रशासन के द्वारा लगातार दावे किए जा रहे हैं कि कल्प वासियों की सुख-सुविधाओं का पूरा ख्याल रखा जा रहा है. साथ सिमरिया कल्पवास मेले में सुरक्षा के साथ-साथ मूलभूत सुविधाओं के सभी इंतजाम कर लिए गए हैं, दरअसल यहां हाल ही बेहाल है. यहां लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

देश भर से पहुंचेंगे संत
संतों ने कहा कि सिमरिया कल्पवास मेला को लेकर जिला प्रशासन ने 5 अक्टूबर को ही साधु-संतों के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाने की बात कही थी. लेकिन, अभी तक जंगल की सफाई, समतलीकरण समेत कई कार्य नहीं हुआ है. दर्जनों खालसा के साधु-संत आ गए हैं जिन्हें एक किलोमीटर दूर से पानी लाकर प्यास बुझानी पड़ती है. देश भर से संत पहुंचने वाले है लोगों की सुविधा के लिए प्रशासन अपना कार्य कर रही है.

इनपुट- जितेंद्र चौधरी

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