बिहार सरकार के द्वारा चलाई जा रही नल जल योजना से ग्रामीणों को लाभ नहीं मिल रहा है. कैमूर जिले के भभुआ प्रखंड के जलालपुर जहां पर सरकार की नल जल योजना का कोई लाभ नहीं मिल रहा है. साथ ही साथ वहां पर किसी भी प्रकार का सरकारी चपाकल भी नहीं है.
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Kaimur: बिहार सरकार के द्वारा चलाई जा रही नल जल योजना से ग्रामीणों को लाभ नहीं मिल रहा है. कैमूर जिले के भभुआ प्रखंड के जलालपुर जहां पर सरकार की नल जल योजना का कोई लाभ नहीं मिल रहा है. साथ ही साथ वहां पर किसी भी प्रकार का सरकारी चपाकल भी नहीं है. ग्रामीण कुएं से गंदा पानी पीने को मजबूर हैं.
कुए का गंदा पानी पीने को मजबूर
कैमूर जिले के भभुआ प्रखंड के जलालपुर गांव में लोगों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल रहा है. गांव में सरकार द्वारा चलाई जा रही नल जल योजना के तहत भी गांव में किसी भी प्रकार का चापाकल नहीं है. गांव के लोग कुए का गंदा पानी पीने को मजबूर है. बताया जा रहा है कि जलालपुर में एक कुआ है जिससे गंदा पानी निकलता है. जिसे ग्रामीण अक्सर पी कर बीमार हो जाते हैं. इस मामले में ग्रामीणों का कहना है कि यहां जल स्तर भूमि के काफी नीचे पहुंच चुका है. जिससे गरीब और असहाय लोग बोरिंग नहीं करवा पाते हैं. जिसके कारण मजबूरन गंदा पानी पीकर अपना गुजारा करना पड़ रहा है. जहां सरकार एक तरफ नल जल योजना पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. इसके बावजूद भी लोगों तक शुद्ध पानी नहीं पहुंच रहा है.
280 फीट बोरिंग करने पर मिलता है पानी
दरअसल कैमूर जिला के भभुआ प्रखंड के जलालपुर गांव में लगभग 70 घर हैं. जिसमें लगभग 350 लोगों की आबादी रहती है. जहां भूमि से जल लेने के लिए लगभग 280 फीट की बोरिंग करने के बाद ही ग्रामीणों को जल मिल पाता है. वहीं, पूरे गांव में एक भी सरकारी चापाकल नहीं है. गांव में गरीब लोगों का पानी के लिए मात्र एक सहारा कुआं है. जहां से गंदा पानी निकलता है और ग्रामीण उसी गंदे पानी पीने को मजबूर हैं.
गंदा पानी पीने से ग्रामीण होते हैं बीमार
इस मामले में ग्रामीणों का कहना है कि वह लोग पिछले काफी समय से पानी से संबंधित दिक्कतों का सामना कर रहे हैं. गांव में पानी का जरिया महज यह कुआ है. जिससे गंदा पानी आता है. जिसे पीने के बाद अक्सर लोगों को खांसी, जुखाम, बुखार इत्यादि समस्या का सामना करना पड़ता है. लोगों को पीने के लिए शुद्ध जल नसीब नहीं है. इस पानी को पशु पक्षी सभी पीते हैं. सरकार की नल जल योजना की जमीनी हकीकत कुछ और है. गांव की हालत के बारे में बड़े अधिकारियों को कोई जानकारी नहीं है. साथ ही ग्रामीणों का कहना है कि नल जल योजना का किसी को कोई लाभ नहीं हो रहा है. इस गांव में सरकारी चापाकल भी नहीं हैं.