बक्सर के सरकारी अस्पताल में बड़ी लापरवाही,समय पर गेट नहीं खुलने से मरीज की गई जान
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बक्सर के सरकारी अस्पताल में बड़ी लापरवाही,समय पर गेट नहीं खुलने से मरीज की गई जान

Buxar News: बक्सर अस्पताल का दरवाजा नहीं खोलने की वजह से मरीज की जान चले गई. इसके बाद घटना से गुस्साए लोगों ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ हंगामा किया.  

 

बक्सर के सरकारी अस्पताल (फाइल फोटो)

Buxar: बिहार सरकार द्वारा सरकारी अस्पतालों (Buxar Government Hospital) में सब कुछ ठीक-ठाक होने का दावा भले ही हर बार किया जाता है, लेकिन अक्सर यहां की तस्वीरें बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था को शर्मसार करती हैं. ऐसा ही एक मामला बक्सर जिले से आया है, जहां अस्पताल का गेट नहीं खोलने की वजह से मरीज ने तड़प-तड़प कर जान दे दी है.

दरअसल, मामला जिले के केसठ प्रखंड के केसठ गांव का है, जहां स्थानीय निवासी उमेश सिंह को बीपी की परेशानी थी. देर रात अचानक उनकी तबीयत बिगड़ने लगी और आनन-फानन में परिजन उन्हें इलाज के लिए केसठ पीएचसी में लेकर गए. अस्पताल पहुंचने के बाद मरीज के परिजन अस्पताल का दरवाजा खटखटाते रहे, लेकिन अंदर से सिर्फ एक ही आवाज आई की डॉक्टर नहीं है.

आखिरकार अस्पताल कर्मियों ने अस्पताल का दरवाजा नहीं खोला, जिसके कारण इलाज के अभाव में वापस लौट रहे उमेश सिंह ने घर पहुंचने से पहले ही तड़प तड़प कर रास्ते में ही दम तोड़ दिया. इस घटना के बाद से स्थानीय लोगों में अस्पताल प्रशासन के प्रति आक्रोश देखने को मिल रहा है. वहीं, अस्पताल की इस लापरवाही ने जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े कर दिये हैं.

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लापरवाही कभी भी बर्दाश्त नहीं की जा सकती
वहीं, देर रात मरीज के साथ अस्पताल पहुंचे एक शख्स ने बताया कि हम अस्पताल का दरवाजा पीट पीट कर थक गये, लेकिन किसी ने भी दरवाजा नहीं खोला. अंदर से आवाज आई कि डॉक्टर नहीं है इसलिए इलाज नहीं हो सकता है, आप लोग वापस जाइए. गुस्साए ग्रामीणों ने कहा कि इस तरह की लापरवाही कभी भी बर्दाश्त नहीं की जा सकती. ऐसे में दोषियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. 

अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के खिलाफ एक्शन में स्वास्थ्य महकमा
इस पूरे मामले में स्वास्थ्य महकमे ने चुप्पी साध रखी है और मामले की जानकारी जुटाने का हवाला देकर कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे हैं. अब ऐसे में यह देखना भी दिलचस्प होगा कि अस्पताल प्रशासन की इस लापरवाही के खिलाफ स्वास्थ्य महकमा क्या एक्शन लेती है? 

(इनपुट- रवि)

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