बाबा से वापस मांग लाई अपने पति के प्राण! अब दंड देते हुए जा रही है बैधनाथ धाम
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बाबा से वापस मांग लाई अपने पति के प्राण! अब दंड देते हुए जा रही है बैधनाथ धाम

बाबा बैद्यनाथ धाम की महिमा किसी से छूपी नहीं है. बाबा बैद्यनाथ द्वादश ज्योर्तिलिंग में से एक हैं. इसे कामना ज्योर्तिलिंग भी कहा जाता है. कहते हैं यहां मांगी गई सारी मुरादें झट से पूरी होती है.

(फाइल फोटो)

भागलपुर: बाबा बैद्यनाथ धाम की महिमा किसी से छूपी नहीं है. बाबा बैद्यनाथ द्वादश ज्योर्तिलिंग में से एक हैं. इसे कामना ज्योर्तिलिंग भी कहा जाता है. कहते हैं यहां मांगी गई सारी मुरादें झट से पूरी होती है. ऐसे में सावन भर बाबा से अपनी मुरादें मांगने के लिए देश-विदेश से करोड़ों कांवड़िया सुल्तानगंज के उत्तरवाहनी गंगा से जल भरकर बाबा के दरबार पहुंचते हैं. वह 105 किलोमीटर की कठिन यात्रा पूरी कर बाबा का जलाभिषेक कर अपनी मुरादें मांगते हैं. 

ऐसे में इस बार एक महिला अपने पति की आयु की मुराद लेकर बाबा के दरबार में सुल्तानगंज से दंड देते हुए जा रही हैं. बता दें कि उनका पति बीमार था बचने की उम्मीद नहीं थी महादेव से मन्नत मांगी की दंड देते हुए सुलतानगंज से बैधनाथ धाम जाएंगी और अब सावन में दंड देते हुए बैधनाथ धाम की यात्रा पर निकली हैं. कहानी बिहार शरीफ के सुधा सिन्हा की है. सुधा सिन्हा पहली बार शाष्टांग दंडवत होते हुए बैधनाथ धाम जा रही हैं. उनके साथ उनके पति भी हैं. 

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चार जुलाई को सुधा सिन्हा ने सुलतानगंज में जल भरा था. अभी तक उन्होंने 105 किलोमीटर में से 10 किलोमीटर की दूरी तय की है. वह कच्ची कांवड़िया पथ पर धीरे-धीरे आगे बढ़ रही हैं. दरअसल सुधा के पति नरेश सिन्हा को हेपेटाइटिस बी हो गया था. लगातार वह बीमार रह रहे थे. डॉक्टर ने उनके नहीं बचने की आशंका जतायी थी. इसके बाद सुधा ने भोलेनाथ से मन्नत मांगी की उनके पति अगर स्वस्थ होते हैं तो वह दंड देते हुए बैधनाथ धाम जाएंगी. इसके बाद इस वर्ष सावन में सुधा सिंह यात्रा पर निकली हैं. 

सुधा के पति नरेश अपनी पत्नी को मिसाल मानते हैं. नरेश कहते हैं की उसके बचने की उम्मीद नहीं थी लेकिन महादेव से उनकी पत्नी ने कामना की थी तो महादेव ने उनकी सुनी और कामना पूरी कर दी. आपको बता दें कि सावन के महीने में खासकर महादेव को रिझाने के लिए तीन तरह के कांवड़िया श्रद्धालु सुल्तानगंज से बैधनाथ धाम जाते हैं.  एक सामान्य बम होते हैं, एक डाक बम तो एक डंडी बम. सबसे कष्टप्रद यात्रा डंडी बम की होती है. यह डंडी बम डेढ़ से दो महीने में बैधनाथ धाम पहुंचते हैं. 

(रिपोर्ट- अश्वनी कुमार)

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