पाकिस्तान में हुक्मरानों से हिसाब मांगने सड़कों पर उतरीं औरतें; क्या पाक बनेगा अगला ईरान ?
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पाकिस्तान में हुक्मरानों से हिसाब मांगने सड़कों पर उतरीं औरतें; क्या पाक बनेगा अगला ईरान ?

Karachi March: पाकिस्तान कराची में रविवार को सैकड़ों महिलाओं, पुरुषों और ट्रांसजेंडर लोगों ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के लिए लिंग की बुनियाद पर ग़रीबी, भूख और भेदभाव को ख़त्म करने की मांग को लेकर मार्च किया. इसमें बड़ी तादाद में लोगों ने शिरकत की.

पाकिस्तान में हुक्मरानों से हिसाब मांगने सड़कों पर उतरीं औरतें; क्या पाक बनेगा अगला ईरान ?

Karachi Aurat March: कराची में सैकड़ों महिलाओं, पुरुषों और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों ने ग़रीबी, भूख और लिंग की बुनियाद पर भेदभाव के उन्मूलन की मांग करते हुए 'औरत मार्च' में हिस्सा लिया. पाकिस्तान के जियो चैनल की न्यूज के मुताबिक़ मार्च में विभिन्न वर्गों और आयु समूहों के लोगों ने हिस्सा लिया. इस साल के 'औरत मार्च' का विषय था "रियासत जवाब दो, भुख का हिसाब दो". मार्च की तारीख भी इस साल 8 मार्च से बदलकर 12 मार्च कर दी गई क्योंकि आयोजक चाहते थे कि इस मार्च में ज़्यादा से ज़्यादा लोग हिस्सा लें. इसलिए मार्च के लिए रविवार का दिन निर्धारित किया गया.

एक आयोजक ने जियो न्यूज़ को बताया कि कम उपस्थिति का कारण देश में हालिया क़ानून व्यवस्था की स्थिति हो सकती है. मार्च के अवसर पर आयोजकों में से एक ने कहा: "भूख, ग़रीबी, जलवायु परिवर्तन और मुद्रास्फीति सभी नारीवादी मुद्दे हैं क्योंकि पाकिस्तान में महिलाएं का तादाद 51 फीसद है. जो इन सब मुद्दों से अधिक प्रभावित हुई हैं. जबरन धर्मांतरण, बंधुआ मज़दूरी और ट्रांसजेंडर अधिकारों जैसे मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए ये मार्च निकाला गया.  प्रदर्शन के दौरान एहतेजाजियों ने सफेद कपड़े के एक लंबे टुकड़े पर लाल रंग का उपयोग करते हुए हाथों के निशान बनाए थे. उनका मक़सद समाज में उनके सामने पेश आने वाली कठिनाइयों पर  लोगों का ध्यान केन्द्रित कराना था.

कार्यकर्ता शहज़ादी राय, महरूब मोइज़ अवान और बिंद्या राणा समेत काफ़ी बड़ी तादाद में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों ने भी मार्च में हिस्सा लिया और प्रतिभागियों को देश में ट्रांस समुदाय के सामने आने वाले मुद्दों के बारे में जागरूक करने के लिए अपनी राय दी. डॉ महरूब अवान ने जियो न्यूज़ से बात करते हुए कहा कि मार्च में ट्रांस लोगों की भागीदारी का मक़सद एकजुटता का प्रदर्शन करना है. मेहरुब ने कहा, "धार्मिक, जातीय, भाषाई और सांप्रदायिक विभाजन कीा वजह से देश में, लोगों का एक-दूसरे के साथ मिलजुल कर रहना मुश्किल नज़र आ रहा है. 

बता दें कि ईरान में भी महिलाएं अपनी कई मांगों को लेकर मुज़ाहिरा कर रही हैं, वहां महसा अमीनी की मौत के बाद महिलाओं द्वारा किए जा रहे मुज़ाहिरों का सिलसिला जारी है. ईरान में जो कुछ हो रहा है वह किसी विद्रोह से कम नहीं है. अब देखना ये है मुज़ाहिरों का ये सिलसिला कब तक जारी रहेगा.

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