पत्रकारों का कब्रगाह बना ये इलाका, दो हफ्तों में 22 खबर नवीसों की मौत
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पत्रकारों का कब्रगाह बना ये इलाका, दो हफ्तों में 22 खबर नवीसों की मौत

Journalist Killed: इजरायल और हमास के दरमियान चल रहे जंग में अब तक 4 हजार से ज्यादा आम नागरिक मारे गए हैं. इसमें 22 पत्रकार भी मारे गए हैं. ये मौतें महज दो हफ्तों में हुई है.

पत्रकारों का कब्रगाह बना ये इलाका, दो हफ्तों में 22 खबर नवीसों की मौत

Journalist Killed: न्यूयॉर्क में मौजूद गैर-लाभकारी संस्था, कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स ने कहा है कि 7 अक्टूबर को हमास की तरफ से इजरायल पर बड़े पैमाने पर हमला शुरू करने के बाद से कम से कम 22 पत्रकार मारे गए हैं. 20 अक्टूबर को जारी एक रिपोर्ट में, सीपीजे ने कहा कि वह जंग में मारे गए, घायल, हिरासत में लिए गए या लापता पत्रकारों की सभी रिपोर्टों की जांच कर रहा है, जिसमें पड़ोसी लेबनान में दुश्मनी फैलने से घायल हुए लोग भी शामिल हैं. 

4000 से ज्यादा लोगों की मौत

इसमें कहा गया है, "7 अक्टूबर को जंग शुरू होने के बाद से 20 अक्टूबर तक, दोनों पक्षों के मारे गए 4,000 से ज्यादा लोगों में कम से कम 22 पत्रकार शामिल थे. गाजा में मंगलवार को अस्पताल में विस्फोट के दौरान भी सैकड़ों लोग मारे गए थे." "गाजा में पत्रकारों को खास तौर से उच्च जोखिम का सामना करना पड़ता है, क्योंकि वे इजरायली सैनिकों की तरफ से जमीनी हमले, विनाशकारी इजरायली हवाई हमलों, बाधित संचार और व्यापक बिजली कटौती के सामने संघर्ष को कवर करने की कोशिश करते हैं." 

18 फिलिस्तीनी पत्रकार

मारे गए 22 पत्रकारों में से 18 फ़िलिस्तीनी, तीन इज़रायली और एक लेबनानी था, जबकि आठ पत्रकार घायल हो गए, तीन अन्य कथित तौर पर लापता हैं या हिरासत में लिए गए हैं. सीपीजे ने कहा कि वह अन्य पत्रकारों के मारे जाने, लापता होने, हिरासत में लेने, चोट पहुंचाने या धमकाने और मीडिया कार्यालयों और पत्रकारों के घरों को नुकसान पहुंचाने की कई अपुष्ट रिपोर्टों की जांच कर रहा है.

पत्रकारों को दी जाए सुरक्षा

सीपीजे के मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका कार्यक्रम समन्वयक शेरिफ मंसूर ने कहा, "सीपीजे इस बात पर जोर देता है कि पत्रकार संकट के समय महत्वपूर्ण काम करने वाले नागरिक हैं और उन्हें युद्धरत दलों द्वारा निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए." ''इस संघर्ष को कवर करने के लिए पूरे इलाके के पत्रकार बलिदान दे रहे हैं. सभी पक्षों को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए." गैर-लाभकारी संस्था (NGO) ने इस बात पर जोर दिया कि यह साप नहीं है कि मारे गए सभी पत्रकार अपनी मौत के वक्त जंग को कवर कर रहे थे या नहीं.

 

Zee Salaam

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