ये जो सर नीचे किए बैठे हैं... जान कितनों की लिए बैठे हैं
हुस्न ये है कि दिलरुबा हो तुम... ऐब ये है कि बेवफ़ा हो तुम
4 मिरी आह का तुम असर देख लेना... वो आएँगे थामे जिगर देख लेना
हाल तुम सुन लो मिरा देख लो सूरत मेरी... दर्द वो चीज़ नहीं है कि दिखाए कोई
आप ने तस्वीर भेजी मैं ने देखी ग़ौर से... हर अदा अच्छी ख़मोशी की अदा अच्छी नहीं
जब मैं चलूँ तो साया भी अपना न साथ दे... जब तुम चलो ज़मीन चले आसमाँ चले
तसद्दुक़ इस करम के मैं कभी तन्हा नहीं रहता... कि जिस दिन तुम नहीं आते तुम्हारी याद आती है
उन की सूरत देख ली ख़ुश हो गए... उन की सीरत से हमें क्या काम है
कुछ इस अदा से आप ने पूछा मिरा मिज़ाज... कहना पड़ा कि शुक्र है परवरदिगार का