मुसलमानों को साधने के लिए BJP का बड़ा कदम

भाजपा को फायदा

भाजपा ने बीते सालों में अपने वोटरों में बढ़ोतरी करने के लिए कई कोशिशें की हैं. इसका नतीज है कि भाजपा साल 2014 में और 2019 में सत्ता पर काबिज हुई. लेकिन विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी को मुस्लिम विरोधी बताते हैं.

सवर्णों की पार्टी भाजपा

भाजापा को पहले सवर्णों की पार्टी कहा जाता था, लेकिन साल 2014 के बाद पार्टी की छवि बदली है. पार्टी पिछड़ों, दलितों और नीची जाति वालों को साध कर चल रही है.

पिछड़ों के लिए योजनाएं

सरकार ने उज्जवला योजना, डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांस्फर और 10 करोड़ टायलेट बनाने का दावा करते हुए पार्टी ने यह बताने की कोशिश की कि वह हर तबके के लिए काम कर रही है.

मुस्लिमों पर नजर

भाजपा लंबे वक्त से मुस्लिम समाज को साधने की कोशिश कर रही है. साल 2019 में तीन तलाक कानून पास किया गया. इसके बाद दावा किया गया कि भाजपा को फायदा हो रहा है.

पसमांदा मुस्लिम

माना जाता है कि भाजपा ने पसमांदा मुसलमानों को साधने की कोशिश की है. यह वह वर्ग है जो मुसलमानों में भी पिछड़ा है. इनकी आबादी 85 फीसद है. यह लोग आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हैं.

भाजपा ने उठाए कदम

भाजपा ने मुस्लिम समाज से बात करने के लिए कई कदम उठाए हैं. भाजपा ने अल्पसंख्यक मोर्चा बनाया है. यह मोर्चा मुसलमानों से बात करने के लिए 23 हजार बार प्रोग्राम कर चुका है. इसने देश की 1500 विधानसभाओं को कवर किया है.

मुस्लिम इलाके

देश में भाजपा ने 65 ऐसी सीटों को चुना है जिन पर मुसलमानों का दबदबा है. इन पर जीत हासिल करने के लिए भाजपा ने रणनीति बनाई है. सूफी समाज के लोग और मोदी मित्र लोगों से मिलकर भाजपा को वोट करने के लिए प्रेरित करेंगे.

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