Muharram 2023: इमामे हुसैन की शहादत के बाद आपके घरो वालों को क़ैदी बनाया गया और शहीदों के सरों को नैज़े पर बुलंद किया गया. इस पूरे क़ाफ़िले को अलग अलग शहरों और बाज़ारों में फिराया गया. जब ये क़ाफ़िला इराक़ के शहर कूफ़ा के बाज़ार में दाख़िल हुआ, तो इमाम हुसैन का सरे मुबारक नैज़े पर बलंद सबसे आगे था. कूफ़ा वही शहर था जहां इमाम हुसैन के वालिद उनके पेदरे बुज़ुर्गवार हज़रत अली ने अपनी ख़िलाफ़त का मरकज़ बनाया था. इस शहर ने अली और उनकी औलाद को बहुत मुहब्बत दी थी. जैसे ही ये क़ाफ़िला कूफ़े के बाज़ार में दाख़िल हुआ इमाम हुसैन की बहन हज़रत ज़ैनब की नज़र नैज़े पर बुलंद अपने भाई के सर पर पड़ी तो बीबी ज़ैनब को कूफ़े के पुराने मंज़र याद आ गए. याद आया होगा कि मेरे बाबा अली इसी शहर में सुल्ताने रब की तरह थे और मेरे भाई हसन और हुसैन शहज़ादों की तरह. पूरी कहानी जानने के लिए देखें वीडियो
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