Why is Eid-ul-Azha celebrated? Eid-al-Adha 2022: खुदा की इबादत करने के लिए कोई भी खास वक्त मुकर्रर नहीं किया गया है. लेकिन फिर भी मुख्तलिफ मज़ाहिब में ईश्वर या भगवान को याद करने और राज़ी करने के लिए मुख्तलिफ दिन मुकर्रर किए जाते हैं. जिसको किसी ना किसी त्यौहार के तौर पर मनाया जाता है. बिल्कुल इसी तरह इस्लाम में भी मुख्तलिफ त्यौहार मुक़र्रर किए गए हैं, और इन खास त्यौहारों को मनाने का मतलब, मुकर्रर दिन पर खास तरीके से अल्लाह की इबादत करना है. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक दो ईद मनाई जाती है. पहली ईद- "ईद उल फित्र" या "मीठी ईद" और दूसरी ईद को "ईद उल जुहा" या "बकरीद" के नाम से जानते हैं. दोनों ईद के बीच का फर्क़ आपको तफसील से बताएंगे लेकिन पहले दोनों ईद के बारे में जान लेते हैं. हज़रत अली रज़ी अल्लाह अनहु से रिवायत है कि अहले मदीना दो दिन ब तौर त्योहार मनाया करते हैं. जिन में वह मुख्तलिफ खेल और तमाशे करते थे. रसूल अल्लाह ने उन से दरयाफ्त किया और फरमाया यह दो दिन जो तुम मनाते हो, उनकी हक़ीकत और हैसियत क्या है. उन्होंने अर्ज़ किया कि हम अहदे जाहिलियत में यानि इस्लाम के आने से पहले यह त्योहार इस तरह मनाया जाता है. यह सुन कर रसुले अकरम ने इर्शाद फरमाया कि अल्लाह ताला ने तुम्हारे इन दोनों त्योहारों के बदले में तुम्हारे लिए इनसे बेहतर दो दिन मुक़र्रर किए गए हैं. यौमुल ज़ुहा यानि ईदुल ज़ुहा और यौमुल फित्र यानि ईदुल फित्र. ग़ालिबन वह त्यौहार जो अहले मदीना इस्लाम से पहले अहदे जाहिलियत में ईद की तौर पर मनाते थे. "ईद उल ज़ुहा", "बक़रीद", "बकरा ईद" या "ईदे क़ुर्बां" अरबी महीने ज़िलहिज्जा की दसवीं तारीख को मनाया जाता है.