PFI यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है. गृह मंत्रालय ने टेरर लिंक के पुख्ता सबूत मिलने के बाद PFI और उसके 8 सहयोगी संगठनों पर 5 साल के लिए बैन लगा दिया है. हालांकि इस संगठन पर बैन लगाने की मांग पहले से ही हो रही थी. मगर NIA और ED की ताबड़तोड़ छापेमारी और पुख्ता सबूत मिलने के बाद बाद केंद्र सरकार ने ये बड़ा फैसला लिया है. पीएफआई पर बैन लगाने को लेकर सरकार ने दलील दी है कि पीएफआई और उसके सहयोगी संगठन ऐसी विनाशकारी कृत्यों में शामिल रहे हैं, जिससे जन- व्यवस्था प्रभावित हुई है. देश के संवैधानिक ढांचे को कमजोर किया जा रहा है, और आतंक-आधारित शासन को प्रोत्साहित किया जा रहा है. दरअसल PFI पर गैर-कानूनी तरीके से फंड लेने कट्टरपंथ फैलाने और भारत विरोधी एजेंडा चलाने का इल्ज़ाम लगा है, यही वजह है कि, हिंसा और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में इस संगठन के शामिल होने के सबूत मिलने के बाद इस पर बैन लगाया गया है. तो अब सवाल ये उठता है, कि PFI पर बैन लगाने से इस संगठन पर क्या असर पड़ेगा दरअसल, बैन के बाद अब PFI अब एक्टिव नहीं हो सकेगा. न ही वो किसी तरह की गतिवधि को अंजाम दे सकता है. सरकार के एक्शन के बाद अब वो ना तो कोई कार्यक्रम आयोजित कर सकता है, और ना ही उसका कोई ठिकाना यानी दफ्तर होगा. अब PFI ना तो किसी से फंड ले सकता है, और ना वह अपने नेटवर्क को मजबूत करने के लिए कोई सदस्यता अभियान चला सकता है. कुल मिलाकर PFI अब किसी भी तरह की गतिविधि में शामिल नहीं हो सकता, और जिससे उसके टेरर लिंक कमजोर पड़ जाएंगे.