Ruckus in the politics of Maharashtra, whose arrows will be in command? उद्धव ठाकरे से शिवसेना का पार्टी सिंबल ''तीर कमान" छीनने की जंग में एकनाथ शिंदे भारी पड़ते नज़र आ रहे हैं. दरअसल शिंदे गुट ने 19 जुलाई को 12 लोकसभा एमपी की लोकसभा स्पीकर के सामने परेड करवाई. जिसके बाद स्पीकर ने शिंदे सपोर्टर राहुल शेवाले को लोकसभा में शिवसेना के लीडर के तौर पर मंज़ूरी दे दी है. इससे पहले 40 एमएलए, नेशनल एक्ज़िक्यूटिव और तंज़ीम से जुड़े ज्यादातर शिवसैनिक शिंदे के साथ आ चुके हैं. कुल मिलाकर उद्धव के हाथ से शिवसेना का तीर-कमान फिसलता नज़र आ रहा है. लेकिन अगर किसी मान्यता प्राप्त क़ौमी या रियासती सतह की पार्टी में कोई फूट होती है, तो इलेक्शन कमीशन फैसला करता है कि असली पार्टी किसकी है. इलेक्शन कमीशन को यह हक़ "द इलेक्शन सिंबल्स (रिजर्वेशन एंड अलॉटमेंट) ऑर्डर, 1968 के पैराग्राफ 15" से मिलता है। इलेक्शन कमीशन पार्टी के वर्टिकल बंटवारे की जांच करेगा. यानी इसमें विधायिका और संगठन दोनों देखे जाते हैं. इलेक्शन कमीशन बंटवारे से पहले पार्टी की टॉप कमेटियों और डिसीजन मेकिंग बॉडी की लिस्ट निकालता है.