सय्यद शकील: आगरा के सबसे बड़े कब्रिस्तान में शुमार पचकुइयाँ कब्रिस्तान में कब्र ही नहीं बल्कि जिंदा लोगों के आशियाने भी हैं. इस कब्रिस्तान में कब्रों के साथ लोगों के घर भी बने हुए हैं. यहां लगभग 100 परिवार रहते हैं. कब्रिस्तान के अंदर ही इन लोगों द्वारा पूरी बस्ती बसा ली गई है. हालांकि बस्ती के अधिकतर मकान कच्चे हैं लेकिन कुछ लोगों ने पक्के मकान बनाकर कब्जा कर लिया है. आरटीआई एक्टिविस्ट नरेश पारस (Naresh Paras) की शिकायत पर प्रशासन ने कब्रिस्तान पहुंचकर जांच पड़ताल की तो हैरान कर देने वाला सच सामने आया. यहां रह रहे अधिकतर लोगों के पास ना तो आधार कार्ड है न ही सरकार द्वारा जारी किया गया कोई भी प्रमाण पत्र है. जांच कर रही टीम द्वारा सभी लोगों को 5 दिन का अल्टीमेटम दिया गया है और वक़्फ़ कमेटी को हिदायत दी गई है कि जिनके पास दस्तावेज नहीं है उन्हें यहां से हटाया जाए. और जिनके पास दस्तावेज हैं उनको कानूनी तौर पर मदद दिलाई जाए. यहां रह रहे अधिकतर लोग अन्य प्रदेशों के हैं जो यहां रहकर अपना और अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं. प्रशासन की लापरवाही यह है कि इतने सालों से प्रशासन ने कोई सुध नहीं ली. अगर यहां घुसपैठिए भी रह रहें होंगे तो प्रशासन इस बात से बेखबर है. क्योंकि यहां रह रहे लोगों का डाटा प्रशासन के पास उपलब्ध नहीं है.
Thank you
By clicking “Accept All Cookies”, you agree to the storing of cookies on your device to enhance site navigation, analyze site usage, and assist in our marketing efforts.