Ramadan 2023: मजहबें इस्लाम में रोजा पांच बुनियादी सिद्धांतों में से एक है. हर बालिग, होशमंद और रोजा रखने की ताकत रखने वाले मर्द और औरत पर रोजा फर्ज किया गया है. बिना किसी बड़ी परेशानी के रोजा छोड़ने को बड़ा गुनाह बताया गया है. वहीं, रोजा रखने का दीन और दुनिया दोनों में बड़े फायदे बताए गए हैं. रोजा रखने वाला उतने सवाब का मुस्तहक बन जाता है, जितना वह सोच भी नहीं सकता है. पाक परवरदीगार रोजा रखने वाले को बेहिसाब सवाब देता है. रोज़ा रखने से इंसान का अल्लाह पर भरोसा कायम होता है. ईमान मजबूत होता है. इंसान दूसरे इंसान का दुख दर्द और भूख-प्यास की शिद्दत महसूस करने वाला एक नेक इंसान बनता है. वहीं, रोजा रखने से सेहत से जुड़ी कई परेशानियां अपने-आप दूर हो जाती है. रोजा रखने के इतने फायदे और अहमियत के बावजूद कुछ हालात में लोगों को रोजा रखने से छूट भी दी गई. यानी कुछ हालात में रोजा नहीं रखने से इंसान गुनाह का भागीदार नहीं होगा. लेकिन जब हालात ठीक हो जाए तो रमजान के रोजे के बदले में कज़ा रोजा रखकर सबाव का हकदार बना जा सकता है. तो आईये जानते हैं कि वह कौन-सी परिस्थितियां हैं, जिसमें रोजा नहीं रखने की छूट है
Thank you
By clicking “Accept All Cookies”, you agree to the storing of cookies on your device to enhance site navigation, analyze site usage, and assist in our marketing efforts.