National Penicillin Allergy Day: पिछले एक दशक में भारत में एंटीबायोटिक का इस्तेमाल 30 फीसद तक बढ़ा है. बैक्टीरियल इंफेक्शन को रोकने वाली इस दवा की खोज थोड़ा चौंकाने वाली रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसके लिए कोई तैयारी नहीं की गई थी. पिछली एक दहाई में हिंदुस्तान में एंटीबायोटिक का इस्तेमाल 30 फीसदी तक बढ़ा है. बैक्टीरियल इंफेक्शन को रोकने वाली इस दवा की खोज थोड़ी चौंकाने वाली है. दरअसल इस दवा की कोई खोज नहीं की गई थी बल्कि ये दवा बनी साइंटिस्ट्स की एक गलती की वजह से जी हां ये बेहद दिलचस्प है की एक्सपेरिमेंट के दौरान हुई गलती की वजह से ही दुनिया को मिली पहली एंटीबायोटिक, और इस गलती को यानी एंटीबायोटिक की खोज को आज यानी 28 सितंबर को इस खोज के चौरानवे साल पूरे हो गए हैं. 6 अगस्त 1881 को स्कॉटलैंड में जन्में एलेक्जेंडर फ्लेमिंग ने एंटीबायोटिक की खोज की, जिसे 20वीं सदी की सबसे बड़ी खोज कहा गया. बात 1928 की है. स्कॉटलैंड के जाने-माने साइंटिस्ट सर एलेक्जेंडर फ्लेमिंग अपनी लैब में थे. वो कुछ एक्सपेरिमेंट कर रहे थे. उसी दौरान उन्हें पेट्री डिश पर एक फंगस नजर आया. फंगस का बनना एक गलती थी क्योंकि पेट्री डिश पूरी तरह साफ नहीं थी. फंगस की जांच के दौरान पता चला कि जहां भी वो फंगस थे वहां के बैक्टीरिया मर चुके थे.उस फंगस यानी फफूंद का नाम था पेनिसिलिन नोटेटम ऐसा होने के बाद उन्होंने उसी वाक्ये को दोहराया. उसी फफूंद की रेयर किस्म को दोबारा उगाया. इसके बाद उस फफूंद के रस को निकालकर उसका इस्तेमाल बैक्टीरिया पर किया. रिसर्च के दौरान पता चला कि अगर उस रस का इस्तेमाल बैक्टीरिया पर किया जाए तो वो खत्म हो जाते हैं. उस पेनिसिलिन नोटेटम फंगस से दुनिया की पहली एंटीबायोटिक तैयार हुई और नाम दिया गया पेनिसिलिन. इसका इस्तेमाल कई बीमारियां फैलाने वाले बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए किया गया. मौजूदा में एंटीबायोटिक का तेजी से बढ़ता इस्तेमाल रेसिस्टेंस का खतरा बढ़ा रहा है. यानी बैक्टीरिया को खत्म करने वाली यह दवा बेअसर साबित हो रही है. इसे एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस कहते हैं.