नई दिल्ली: ये दृश्य उत्तर प्रदेश के बरेली का है, जहाँ एक रास्ते पर मुस्लिम उर्स का चादर चढ़ाने जुलूस के साथ जा रहे हैं. वहीँ, विपरीत दिशा से गणपति विसर्जन के लिए हिंदू समुदाय के लोग आ रहे हैं. एक दूसरे को क्रॉस करते वक़्त दोनों भक्ति में डूबे हुए हैं. मस्ती में झूम रहे हैं. एक गुलाबी अबीर उड़ा रहा है, तो दूसरा लोबान का हरा धुवां उड़ा रहा है. न किसी को अबीर से दिक्कत है, न किसी को लोबान के धुंवे और खुशबू से दिक्कत है. देश का आम हिन्दू और मुसलमान ऐसा ही है.. वो पर्व -तौहार आस्था और भक्ति की भावना से ओतप्रोत होकर मनाता है, उसमें राजनीति की गुंजाईश नहीं होती है. लेकिन सत्ता हासिल करने या उसपर बने रहने के लिए सियासी दलों और कुछ लोगों को यह दृश डराता है. उन्हें अंदर तक बेचैन कर देता है, और उनकी रातों की नींद उड़ा देता है. फिर किसी के हाथ में पत्थर थमाकर दोनों को एक दूसरे का दुश्मन बना देता है.