2022 Karnataka hijab row: पिछले दिनों हिजाब का मुद्दा सुर्खियों में रहा है हाल ही में इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है. जिसपर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चौंकाने वाली टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने हिजाब से पगड़ी को कंपेयर ना करने की बात कही. सोमवार के दिन हो रही सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हिजाब को पगड़ी से कंपेयर ना करने की बात क्यों कही है? दरअसल हिजाब मामले में दिए गए कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर 23 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था, जिसमें कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने 15 मार्च के अपने फैसले में राज्य के स्कूलों और कॉलेजों में मुस्लिम स्टूडेंट्स के हिजाब पहनने पर रोक बरकरार रखी थी. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस हेमंत गुप्ता (Justice hemant Gupta) और जस्टिस सुधांशु धूलिया (Justice Sudhanshu dhulia) की बेंच कर रही थी. राजीव धवन (Rajeev Dhawan) जो दर्ख़ास्त करने वालों की अगुवाई कर रहे हैं उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में एक जज थे जो तिलक लगाते थे और एक पगड़ी पहनते थे. कोर्ट नंबर-2 में एक तस्वीर लगी है जिसमें जज को पगड़ी पहने दिखाया गया है. सवाल यह है कि क्या औरतों को ड्रेस कोड को मानना चाहिए जो सरकार ने तय किया है और क्या हिजाब इस्लाम की और मज़हबी प्रैक्टिस है. यूनिफॉर्म तय करने का हक सरकार को नहीं दिया गया था और अगर कोई इंसान यूनिफॉर्म पर दूसरी चीज़ पहनता है तो यह यूनिफॉर्म की खिलाफ नहीं होगा. इस पर जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि, पगड़ी हिजाब के बराबर नहीं है यह धार्मिक नहीं है, इसकी तुलना हिजाब से नहीं की जा सकती, यह शाही राज्यों में पहनी जाती थी, मेरे दादा जी कानून की प्रेक्टिस करते हुए उसे पहनते थे. इसकी तुलना हिजाब से मत कीजिए. स्कार्फ पहनना एक ज़रूरी प्रेक्टिस हो सकती है या नहीं, सवाल यह हो सकता है कि क्या सरकार ख्वातीन के ड्रेस कोड को रेगुलेट कर सकती है. वहीं दर्ख़ास्त करने वालों ने कहा कि हिजाब पर रोक से ख्वातीन तालीम से मरहूम रह सकती हैं. इस पर बेंच ने कहा कि राज्य यह नहीं कह रहा है कि वह किसी भी हक़ से इनकार कर रहा है बल्कि राज्य यह कह रहा है कि आप उस ड्रेस में आएं जो स्टूडेंट्स के लिए तय है. हर इंसान को मज़हब की पैरवी करने का हक़ है.