Hajj Ek Farz: When and when the Khana Kaaba remained closed for Hajis? तक़रीबन 40 मवाक़े ऐसे हैं जिनपर हज अदा नहीं हो सका और ख़ाना काबा हाजियों के लिए बंद रहा. हज सिर्फ़ लड़ाईयों और जंगो के सबब मंसूख़ नहीं हुआ बल्कि ये कई साल सियासत की नज़र भी हुआ. सन् 983 ईसवी में इराक़ की अब्बासी और मिस्र की फातमी ख़िलाफ़तों के सरबराहान के दरमियान सियासी कशमकश रही और मुसलमानों को इस दौरान हज के लिए सफ़र करने नहीं दिया गया..इसके बाद हज 991 में अदा किया गया. 357 हिज्री में एक और बार फिर एक बड़ी वजह के सबब लोग हज अदा नहीं कर सके. और ये वजह कुछ और नहीं बल्कि एक बीमारी थी. कई रिपोर्ट्स के मुताबिक़ अलमाशरी नाम की एक बीमारी के सबब सऊदी अरब में बड़ी तादाद में अमवात हुईं. ज़्यादातर ज़ाएरीन की मौत सफरे हज के रास्ते में ही हो गई. और जो लोग सफ़रे हज पूरा कर के पहुंचे भी तो हज की तारीख़ के बाद ही वहीं पहुंच सके. फिर सन 1831 में हिंदुस्तान से शुरु होने वाली एक वबा ने मक्का में तक़रीबन तीन चौथाई ज़ाएरीन को हलाक कर दिया. ये लोग कई माह का ख़तरनाक सफर तय कर के हज के लिए मक्का पहुंचे थे. इस तरह 1857 से लेकर 1858 में दो दहाईयों में तीन मर्तबा हज को मंसूख़ किया गया. जिसके सबब ज़ायरीन मक्का की जानिब सफ़र ना कर सके. सन 1846 में मक्का में हैज़े की वबा से तक़रीबन 15 हज़ार अफ़राद हलाक हुए. ये वबा मक्का में सन 1850 तक फैलती रही लेकिन इसके बाद भी कभी कभी इस से अमवात हुईं.