Hajj Ek Farz: What is Rami Jamarat? ऐसा वजूद जो इंसान और ईमान का दुश्मन हो, जो इंसान को उस की राहे निजात से गुमराह करने के दर पर हो, जो क़ुरान और उसकी तालीमात का मुख़ालिफ़ हो, जो दीन और दीनी क़ुव्वतों के ख़ात्मे के दर पर हो, जो हुक्मे ख़ुदा के सामने ग़ुरूरो तकब्बुर में मुब्तिला हो जाए और इंसान को राहे हक़-ओ-हक़ीक़त से दूर रहने की क़सम खा ले. हज के दौरान एक अहम अमल है शैतान पर कंकर मारना. शैतान पर कंकर बरसाने के लिए ज़रूरी है कि पहले उसे पहचाना जाए, उसे समझा जाए, उसके तर्ज़े अमल की शनाख़्त की जाए. वाज़ेह रहे कि दौराने हज तीन तरह के शैतानों पर कंकर बरसाए जाते हैं. मैदाने अराफ़ात का क़्याम इरफ़ाने अलाही और मक़ासिदे हज की मआरफ़त के लिए है, वहां से हाजी मस्जिद-उल-हराम या मुज़दलफ़ा में पहुंचते हैं. यहां कंकर जमा किए जाते हैं ताकि मीना में पहुंच कर शैतान को संगसार किया जाए. दरअस्ल ये पत्थरों के तीन सुतून होते हैं. ये वो जगहें हैं जहां पर मनासिक हज के दौरान क़ुर्बानी का जानवर ज़िबह करने की जगह अल्लाह के हुक्म से हज़रत इब्राहिम अलेहीस्सलाम ने सबसे महबूब लख़्ते जिगर हज़रत इस्माईल अलेहीस्सलाम को ज़िबह करने का फ़ैसला कर लिया था. और इस वाजिब अमल को रमी जमरात कहा जाता है. इस्लामी फ़राइज़ की अदाएगी में सबसे मुश्किल मरहला दौराने हज जमरात को कंकरियां मारने का है. वाज़ेह रहे कि इस वाजिब अमल को 10, 11, और 12 ज़ुलहिज्जा को अंजाम दिया जाता है.