Hajj Ek Farz: The practices that spoil the Hajj! क्या आप जानते हैं कि हज में फ़राइज़ो अरकान को बजा लाने के साथ साथ बल्कि उससे भी पहले ये ज़रूरी है कि आज़मीने हज को उन बातों का इल्म हो जिनसे हज ख़राब होता है. हज की ख़राबियां दो क़िस्म की हैं. पहली- हज के गुनाह. यानि वो गुनाह जो हज से बाहर भी, यानि हज से पहले और हज के बाद भी गुनाह हैं. मगर हज के दौरान इन गुनाहों की संगीनी बहुत बढ़ जाती है. हज के गुनाह में हराम माल का इस्तेमाल. नीयत की ख़राबी और दिखावा फ़ुसूक़ यानि गुनाह के काम, जिदाल यानि झगड़ा, लड़ाई, इख़्तिलाफ, बहसो मुबाहिसा. हुक़ूक़ुल इबाद में कोताही, शामिल है, और दूसरा- हज की ममनूआत. यानी वो काम जो हज से बाहर यानि एहराम से पहले और एहराम के बाद गुनाह नहीं है. मतलब है तो जाएज़ लेकिन उन जाएज़ कामों से हज के दौरान रोका गया है. मसलन एहराम के दौरान ख़ुश्बू लगाना. वैसे तो ख़ुश्बू लगाना जाएज़ है लेकिन एहराम के दौरान नाजाएज़ हैं. हाजी के लिए इन ख़ास वक़्त में नाजाएज़ कामों से बचना ज़रूरी है.