hajj Ek farz: How many times Hajj could not be performed till now? क्या आप जानते हैं कि तक़रीबन 40 मवाक़े पर हज अदा नहीं हो सका और कई बार ख़ाना काबा हाजियों के लिए बंद रहा. सन 865 में इसमाईल बिन यूसूफ़ ने जिन्हें अलसिफ़िक के नाम से जाना जाता है. बग़दाद में क़ायम अब्बासी सलतनत के ख़िलाफड ऐलाने जंग किया और मक्का में अराफ़ात के पहाड़ पर हमला किया. इस हमले में वहां मौजूद हज़ारों हज के ज़ायरीन हलाक हो गए. जिसके बद हज नहीं हो सका था. उसके बाद सन 930 क़रामता पर हमला हुआ. इस हमले को सऊदी शहर मक्का पर सबसे शदीद हमलों में से एक जाना जाता है. सन 930 में क़रामता फ़िरक़े के सरबराह अबूताहिर अलजनाबी ने मक्का पर एक हमला किया जिस दौरान इतनी लूट मार और क़त्लो ग़ारत हुई कि कई बरस तक हज ना हो सका. सऊदी अरब में क़ायम शाह अब्दुल अज़ीज़ फाउंडेशन फॉर रिसर्च एंड आर्काईव्ज़ में छपने वाली एक रिपोर्च में इस्लामी तारीख़दां और अहादीस के माहिर अलज़हबी की किताब इस्लाम की तारीख़ के हवाले से बताया गया है कि 316 हिजरी के वाक़्यात की वजह से किसी ने क़रामता के ख़ौफ के बाइस इस साल हज अदा नहीं किया. क़रामता उस वक़्त की इस्लामी रियासत को नहीं मानते थे. इस दौरान तक़रीबन 30 हज़ार हाजियों का क़त्ले आम हुआ और उन्हें बग़ैर किसी जनाज़े और ग़ुस्ल के दफ़ना दिया गया.इतना ही नहीं मोअर्रख़ीन के मुताबिक़ हमालवरों ने लोगों को क़त्ल करने के बाद कई एक की लाशें ज़मज़म के कुएं में भी फेंकी ताकि उसके पानी को गंदा किया जा सके. इसके बाद वो हजरे अस्वद को उठा कर अपने साथ उस वक़्त के सऊदी अरब के मश्रिक़ी सूबे अलबहरैन ले गए जहां ये अबू ताहिर के पास उसके शहर अलहसा में कई बरस रहा. और बाद में भारी तावान के बाद उसे वापस खाना काबा में लाया गया.