Father of Algorithm: जिस सोशल मीडिया की टाइम लाइन पर आप मेरा वीडियो देख रहे हैं या दूसरे वीडियोज़ आप देखते और सर्च करते हैं. उसके पीछे एक प्रोग्रामिंग एक आर्टिफ़ीशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) एलगोरिद्म काम करता है. इस एलगोरिदम का तसव्वुर सबसे पहले एक मुस्लिम साइंटिस्ट मोहम्मद इब्न मूसा अल-ख़्वारिज़्मी ने पेश किया. इन्होंने ही रोमन में की जाने वाली गिनती को इंडो अरबिक नंबर में तब्दील किया. यानी जो रोमन का एक दो तीन होता था उसे हमारी ज़बान में राएज गिनती में बदला.और डेसीमल यानी दशमलव को भी इन्होंने ही गिनती में शामिल किया. रोमन ज़बान में दश्मलव का इस्तेमाल नहीं होता था, तो आज कंप्यूटर के सर्च इंजनो में जानकारी का जो समंदर है उसका एलगोरदिम अल ख़्वारिज़्म ने ही तैय्यार किया है. अगर ये कहा जाए कि अल ख़्वारिज़मी न होते तो आज कंप्यूटर और इंटेरनेट का जाल न फैला होता तो ये ग़लत न होगा, क्योंकि कोई भी कंप्यूटर एलगोरिदम पर ही काम करता...अल ख़्वारिज़्मी को लैटिन ज़बान में अल गोरिद्मी कहा गया और इसी पर अलगोरिद्म नाम पड़ा. इसलिए 780 ईस्वी के आसपास उज़्बेकिस्तान में पैदा हुए मोहम्मद इब्न मूसा अल-ख़्वारिज़्मी को फ़ॉदर ऑफ़ एलगोरिद्म (Father of Algorithm) कहा जाता है. ख़्वारिज़्म उज़बेकिस्तान का एक इलाक़ा है उसी इलाक़े के नाम पर मोहम्मद बिन मूसा के नाम में ख़्वारिज़्मी लफ़्ज़ जुड़ गया. अल ख़्वारिज़मी 9वीं सदी की शुरुवात में ही बग़दाद आ गए और यहीं रह कर उन्होंने अपने इल्म के आबशार बरसाए. एलगोरिद्म के अलावा अल जबरा यानी बीज गणित पर उन्होंने बहुत काम किया. कुछ लोग तो उन्हे फ़ादर आफ़ अल जब्रा भी कहते हैं...लेकिन उनसे पहले यूनान और बेबीलोन के मैथमैटीशियन्स बीज गणित के फ़ार्मूलों को हल कर रहे थे लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिल रही थी. अल ख़्वारिज़्म ने बीजगणित यानी अल जबरा को आसान बनाया...उन्होंने इसपर अल जबर नाम से किताब लिखी. उन्हीं की किताब पर अल जबरा ( Algebra) नाम पड़ा.