Bilkis Bano Supreme Court Verdict: 15 अगस्त 2022 के दिन गुजरात सरकार के एक फैसले ने बिलकिस बानो को पूरी तरह से तोड़कर रख दिया था. जब गुजरात सरकार ने आजादी के अमृत महोत्सव के नाम पर बिलकिस बानो गैंगरेप के 11 दोषियों को समय से पहले जेल से रिहा कर दिया था. इस फैसले से जहां वह 11 लोग काफी खुश थे. वहीं बिलकिस बानो को ये बात समझ नहीं आ रही थी कि सरकार और कानून ने उसके साथ इतनी बड़ी नाइंसाफी कैसे कर दी. लेकिन बिलकिस बानो ने अपने आप को संभाला और एक बार फिर से अपने हक और इंसाफ के लिए लड़ना शुरू किया. बिलकिस बानो ने 30 नवंबर 2022 को 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की. जिसमें उन्होंने उन 11 दोषियों की रिहाई को गलत बताते हुए उन्हें वापस जेल में भेजने की बात की. बिलकिस बानों ने इस बात को भी सामने रखा जिसमें उन्होंने कहा कि जब केस का ट्रायल महाराष्ट्र में चला था, तो गुजरात सरकार इसका फैसला कैसे कर सकती है. जिसके बाद कोर्ट में बिलकिस बानो की याचिका पर सुनवाई शुरू की. और आज कोर्ट ने अपना फैसला बिलकिस बानो के पक्ष में सुनाते हुए गुजरात सरकार के रिहाई के फैसलों को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि गुजरात सरकार को रिहाई का फैसला लेने का कोई अधिकार नहीं है. वह दोषियों को कैसे माफ कर सकती है. जब सुनवाई महाराष्ट्र में हुई है तो रिहाई पर फैसला भी वहीं की सरकार को है. आपको बता दें कि साल 2002 में गोधरा कांड के बाद गुजरात में दंगा भड़क गया था, जिसमें दंगाइयों ने बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप किया था और उनके परिवार के 17 लोगों में से 7 लोगों की हत्या कर दी थी. उस वक्त बिलकिस बानो की उम्र 21 साल थी और 5 महीने की गर्भवती भी थी...