Azadi Ka Amrit Mahotsav: 20वीं सदी की शुरुआत में भारत में राजसी दरबार होता था. यह इंगलैंड के महाराजा या महारानी के राजतिलक की शोभा में सजते थे. ब्रिटिश साम्राज्य चरम काल में, सन 1877 से 1911 के बीच तीन दरबार लगे थे. सन 1911 का दरबार एकमात्र ऐसा था कि जिसमें सम्राट स्वयं, जॉर्ज पंचम आये थे. इसी दरबार में जार्ज पंचम के स्वागत में कुछ गाने गए थे, गानों की जिम्मेदारी दी गई थी रवींद्रनाथ टैगोर को. टैगोर ने अपनी 5 पदों वाली एक बंगाली कविता के पहले पद का हिंदी में अनुवाद करके इनके स्वागत में सबसे पहले गाया. कुछ और नहीं बल्कि जन-गण-मन ही था... ये पहली बार था जब जन-गण-मन को लोगों ने सुना. इसके बाद टैगोर ने भी इसे खुद गाया और धीरे-धीरे ये गाना राष्ट्रगान बन गया. आज के इस अंक में चर्चा जन-गण-मन के पहले गायन से लेकर राष्ट्रगान बनने तक के सफर के बारे में होगी
Thank you
By clicking “Accept All Cookies”, you agree to the storing of cookies on your device to enhance site navigation, analyze site usage, and assist in our marketing efforts.