Azadi ka Amrit Mahotsav: "इंकलाब जिंदाबाद", यह नारा तो आपने जरूर सुना होगा. भारत की स्वतंत्रता में काफी प्रसिद्ध हुआ यह नारा, वही है जो भगत सिंह और उनके साथी प्रतिदिन अदालत में प्रवेश करते वक्त लगाया करते थे. लेकिन क्या आपको यह बात पता है कि यह नारा किसने दिया था. यह नारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े उर्दू कवि मौलाना हसरत मोहानी ने सन् 1921 में दिया था, एक जलसे में आज़ादी-ए-कामिल यानी (पूर्ण आज़ादी) की बात करते हुए उन्होंने यह नारा सुनाया था. इस नारे ने हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन की गतिविधियों को प्रेरित किया. विशेष रूप से अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ, भगत सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद इस नारे से प्रेरित हुए थे.
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