हर दाढ़ी-टोपी वाले का बयान नहीं होता है फतवा, जानें किसे है इसे जारी करने का हक?
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हर दाढ़ी-टोपी वाले का बयान नहीं होता है फतवा, जानें किसे है इसे जारी करने का हक?

What is Fatwa?: हर कोई फतवा जारी नहीं कर सकता है. इसके लिए एक कोर्स होता है. जो इस कोर्स को पास करता है, उसी को फतवा जारी करने का अधिकार होता है.

हर दाढ़ी-टोपी वाले का बयान नहीं होता है फतवा, जानें किसे है इसे जारी करने का हक?

What is Fatwa?: इन दिनों फतवा नाम बार-बार सुनाई दे रहा है. हाल ही में एक्ट्रेस उर्फी जावेद को लेकर एक फतवा जारी किया गया है. मीडिया में फतवा को किसी विवादित चीज से जोड़ कर देखा जाने लगा है. कोई भी शख्स इस्लाम के मुखालिफ कोई काम करता है और उस पर अगर कोई अलेमा कुछ कहता है, तो उसे फतवे से जोड़ दिया जाता है. जबकि ऐसा नहीं है. दरअसल फतवा किसी और चीज का नाम है.

क्या है फतवा? 

आसान भाषा में कहें तो फतवा इस्लाम से जुड़े किसी भी मुद्दे पर कुरान और हदीस के हिसाब से कोई हुक्म जारी किया जाता है, उसे फतवा कहा जाता है. यह कुरान और हदीस की रौशनी में किसी मसले की व्याख्या होती है. फतवा एक राय होती है, और यह कभी भी अपनी तरफ से जारी नहीं की जाती है, इसके लिए ज़रूरी है याचिकाकर्ता फतवे के लिए लिखित में आवेदन किया हो. किसी भी शख्स पर उसे मानने की बाध्यता नहीं है. याद रहे अल्लाह की कही गई बातों को कुरान जबकि पैगंबर मोहम्मद (स0) की कही गई बातों को हदीस कहते हैं.

कौन जारी करता है फतवा?

जहां तक फतवे की बात है उसे हर कोई जारी नहीं कर सकता. इसे कोई मुफ्ती ही जारी कर सकता है. मुफ़्ती भी किसी शरिया अदालत का कोई ज़िम्मेदार पद पर बैठा आदमी होना चाहिए. फतवा देने और मुफ़्ती बनने के लिए इसकी पढ़ाई भी करनी होती है, जिसमें कुरान और हदीस के साथ ही इस्लामी नयायशास्त्र और तर्कशास्त्र के बारे में पढ़ाया जाता है. इस्लाम धर्म के बारे में बहुत अच्छी जानकारी रखने वाला शख्स ही फतवा जारी कर सकता है. भारत में सहारनपुर के देवबंद मदरसा, बरेली मदरसा के साथ ही राज्यों के शरिया अदालत इसे जारी करते हैं. शरिया अदालतों को भारत का कानून और संविधान भी मान्यता देता है. लेकिन कई कानूनों में टकराव की स्थिति में शरिया अदालतों के फैसले उलट भी दिए जाते हैं. 

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क्यों जारी किया जाता है फतवा?

आज से तकरीबन 1400 साल पहले पैगंबर मोहम्मद (स0) का वजूद था. उनके न रहने के बाद दुनिया बहुत बदल चुकी है. जो नियम कानून उस वक्त लागू होते थे, जरूरी नहीं है कि वह अब भी लागू हों. इसलिए पैगंबर मोहम्मद (स0) ने आने वाले वक्त की जिम्मेदारी इस्लाम के जानकारों को दी थी. इस्लाम में देश और जमाने के हिसाब से जो भी बदलाव होते हैं, वह इन्हीं जानकारों की राय के बाद होते हैं. ये लोग जो राय देते हैं उसे भी फतवा कहा जाता है.

दूसरा ये कि कोई भी शख्स जब अपनी जिंदगी इस्लामिक तरीके से गुजारना चाहता है, तो उसे कई चीजों टकराव नजर आता है. इस टकराव दूर करने के लिए वह मुफ्ती से राय पूछता है. इस राय को भी फतवा कि श्रेणी में लाया जाता है.

कानून लागू नहीं होता फतवा

जानकारों की मानें तो फतवा किसी इस्लामिक मुल्क में कानूनी तौर से लागू किया जा सकता है. चूंकि भारत में इस्लामी कानून नहीं इसलिए यहां फतवे के माने मुफ्ती की महज एक राय है. इसे कानूनी तौर लागू नहीं कराया जा सकता.

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