Madhya Pradesh: ताड़ी पीकर मरते थे मर्द, इस बार पुरुष समेत हुई महिला की मौत
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Madhya Pradesh: ताड़ी पीकर मरते थे मर्द, इस बार पुरुष समेत हुई महिला की मौत

Madhya Pradesh: एमपी से एक बड़ी खबर सामने आ रही है. यहां एक महिला समेत ताड़ी पीने से 3 लोगों की मौत हो गई है. वहीं एक दर्जन से ज्यादा लोगों की हालत गंभीर है.

Madhya Pradesh: ताड़ी पीकर मरते थे मर्द, इस बार पुरुष समेत हुई महिला की मौत

Madhya Pradesh: एक बड़ी खबर सामने आ रही है. एमपी के धार जिले में ताड़ी पीने से एक महिला और पुरुषों की मौत हो गई है और तकरीबन 1 दर्जन से ज्यादा लोगों ही हालत खराब है.  सोमवार को पुलिस ने इस बात की जानकारी दी है. रिपोर्ट्स के अनुसार ये मामला झड़ामली गांव का है. रिपोर्ट्स के अनुसार बीमार पड़े लोग एक ही परिवार के बताए जा रहे हैं. ताड़ और खजूर के रस से बनने वाली शराब को ताड़ी या इंग्लिश में Toddy कहते हैं.

पुलिस ने क्या कहा?

धार के एसपी मनोज कुमार सुन्हा ने कहा एक परिवार ने ताड़ी पी थी. जिसके कारण कुछ लोगों को उल्टी और दस्त हो गए. वहीं परिवार के एक सदस्य की शनिवार रात मौत हो गई. जैसे ही हमे इस मामले की जानकारी मिली वैसे ही हम वहां पहुंच गए. हमने सभी लोगों को इकट्ठा किया और अस्पताल में भर्ती कर दिया. उसी रात एक आदमी और एक औरत की मौत हो गई. बाकि लोगों में किसी तरह के कोई लक्षण नहीं दिख रहे हैं उन्हें अस्पताल में मॉनिटर किया जा रहा है.

रिपोर्ट् के अनुसार कुल 3 लोगों की जान गई है जिसमें से एक महिला है. वहीं 13 लोग काफी बीमार हैं. उन्होंने बताया कि चार लोगों को धार जिले के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है. वहीं 9 लोग अलीराजपुर अस्पताल में भर्ती हैं. पुलिस ने जानकारी दी है कि कीटनाशक का एक पाउच मिला है. हालांकि पोस्टमार्टम के बाद ही ये साफ हो पाएगा कि मौत किस कारण हुई है. ये भी हो सकता है कि उन लोगों ने अधिक मात्रा में ताड़ी पी हो. 

शख्स ने दी अहम जानकारी

गांव के एक शख्स ने जानकारी दी है कि परिवारने सुबह 10 बजे ताड़ी पी थी. जिसके बाद  उनकी हालत बिगड़ने लगी. अपोजीशन लीडर गोविंद सिंह का कहना है कि इन लोगों की मौत की जिम्मेदारा राज्य सरकार है. उन्होंने कहा- नई शराब नीति के कारण गांव-गांव में शराब के ठेके चल रहे हैं. सरकार राजस्व बढ़ाने में लगी है. धार में आदिवासियों की मौत हुई है और इसके लिए सरकार जिम्मेदार है. सरकार केवल बहाने बना रही है और वे आदिवासियों के लिए काम नहीं करना चाहती.

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